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आर्टिकल-370 खत्म होने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर को लेकर आज बड़ी बैठक, जानिए किन मुद्दों पर हो सकती है बात

नई दिल्ली।

जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह तो मौजूद होंगे ही, जम्मू-कश्मीर के तमाम दलों के सुप्रीम लीडर भी इसमें शामिल होंगे।

दरअसल, यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगस्त 2019 में आर्टिकल-370 के खत्म होने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर के प्रमुख दलों के नेताओं से मिलेंगे। बैठक में किन मुद्दों पर बात होगी, यह तो इसके खत्म होने के बाद बाहर आई रिपोर्ट में स्पष्ट हो जाएगा, मगर जो कयास लगाए जा रहे हैं, उसके मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी इसमें जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का ऐलान कर सकते हैं। इसके अलावा आर्टिकल-370 को फिर से लागू करने पर विचार का अनुमान भी लगाया जा रहा है।

बीते दो साल में यहां तेजी से हुआ विकास, हालात भी सुधरे
वैसे, इन कयासों और अनुमानों पर राजनीतिक विश्लेषक सवाल खड़े कर रहे हैं। उनके मुताबिक, आर्टिकल-370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर जैसा केंद्र शासित प्रदेश बीते दो साल में जिस तेजी से विकास की राह में आगे बढ़ा है और हालात में जो सुधार देखने को मिले हैं, उसके बाद इन कयासों के जरिए जानबूझकर वहां के माहौल को फिर से खराब करने की कोशिश हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि इसके जरिए एक बार जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने की साजिश हो रही है।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर हो सकती है बात
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और 8 राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल होंगे। विश्लेषकों की मानें तो बैठक का एजेंडा जम्मू-कश्मीर के भविष्य और यहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर बात हो सकती है। वैसे, यह सकारात्मक रुख है कि प्रधानमंत्री मोदी के आमंत्रण पर जम्मू-कश्मीर के सभी प्रमुख दलों के नेता इस बैठक में शामिल होंगे। खास बात यह है कि बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के नेता, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और गुपकार अलायंस के प्रमुख फारुख अब्दुल्ला भी मौजूद रहेंगे। असल में फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को खत्म किए जाने का जमकर विरोध किया था। उन्होंने इसे फिर से बहाल करने के लिए चीन की मदद लेने की बात भी कही थी। उनके अलावा बैठक में पीडीपी की प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी शामिल होंगी। महबूबा ने आर्टिकल-370 को खत्म किए जाने का विरोध करते हुए यहां तक कह दिया था कि इसके बाद कश्मीर भारत के साथ नहीं रह पाएगा और आने वाले दिनों में यहां आग लग जाएगी।

हालात बिगाडऩे की धमकियां दी गईं, मगर वह काम नहीं आई
बहरहाल, बीते दो साल में जब से जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस का तमगा छिना है और वहां आर्टिकल-370 खत्म हुआ है, तब से वहां शांति है और यह केंद्र शासित प्रदेश विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है। इससे पहले, कई दशक तक जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक अगुवाई करते रहे इन नेताओं ने हालात बिगाडऩे की जो धमकियां दीं, वह काम नहीं आई। अच्छी बात यह है कि यहां की जनता ने आर्टिकल-370 के खात्मे को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि, इसे भविष्य के लिए बेहतर कदम माना।

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तीन साल पहले जून में ही बर्खास्त हुई थी महबूबा मुफ्ती की सरकार
यही नहीं, आज होने वाली इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती करीब तीन साल बाद आमने-सामने होंगे। इससे पहले, जब दोनों नेताओं की आखिरी मुलाकात हुई थी, तब महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री थी। तब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हासिल था और यहां आर्टिकल-370 लागू था। यह भी दिलचस्प है कि तीन साल पहले जून महीने में ही महबूबा सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था और शुरुआती छह महीनों के लिए वहां राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद यहां संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति शासन लगा, जब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील हो गया। वैसे, जिस समय महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं, तब उनकी पार्टी यहां भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाए हुए थी।

मोदी समझ गए थे कि महबूबा की धमकियों से जम्मू-कश्मीर के हालात नहीं सुधारे जा सकते
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो, जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के दौर में वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी को यह अंदाजा लग गया था कि महबूबा मुफ्ती की रोज-रोज की धमकियों और उलजुलूल मांगों के बाद राज्य के हालात नहीं सुधारे जा सकते। सिर्फ महबूबा मुफ्ती ही नहीं, दूसरे तमाम दलों के नेताओं ने सिर्फ अपनी जेब भरी और यहां के लोगों के हितों की अनदेखी की। इसके बाद ही प्रधानमंत्री की ओर से यहां तमाम कड़े फैसले लिए गए और जनता तथा राज्य की बेहतरी के लिए काम किए गए।

हालात सुधरेंगे और लोगों का जीवन स्तर बढ़ेगा, तब पूर्ण राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा!
विश्लेषकों का दावा है कि महबूबा सरकार की बर्खास्तगी के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सुधरे। पहले राज्यापाल और फिर राष्ट्रपति शासन लगाना और करीब एक साल बाद ही आर्टिकल-370 को खत्म करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। 6 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की अधिसूचना के साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से प्रशासनिक तौर पर अलग कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। वैसे, जब आर्टिकल-370 को खत्म किए जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की संसद में चर्चा हो रही थी, तब केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर के हालात में जब सुधार होगा, तो इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।

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काफी कुछ बदला है और भी प्रयास कर रही सरकार
अगस्त 2020 में मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया। सिन्हा ने यहां पंचायत चुनावों के बाद डीडीसी के चुनाव कराए, जिससे यहां की शासन व्यवस्था तो मजबूत हो ही, लोकतांत्रिक प्रकिया भी तेजी से और मजबूती से आगे बढ़े। हालांकि, यहां के तमाम राजनीतिक दलों ने आर्टिकल-370 को खत्म किए जाने और विशेष दर्जा छिने जाने का विरोध किया और बदले में एकजुट होकर गुपकार अलायंस बनाया। प्रधानमंत्री की ओर से बैठक का आमंत्रण मिलने के बाद गुपकार अलायंस ने बैठक की और काफी जद्दोजहद के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि वे 24 जून गुरुवार की बैठक में शामिल होंगे।



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