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बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर 100 से अधिक शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले हुई राजनैतिक हिंसा को लेकर जमकर सियासत हुई। लेकिन चुनाव के फौरन बाद हुई हिंसात्मक घटनाओं को लेकर अब बंगाल सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। तमाम तरह के समाजिक और सांस्कृतिक संगठनों की ओर से आवाज उठाई जा रही है।

वहीं अब पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर सामाजिक विकास केंद्र और 100 से अधिक शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। इन सभी शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति से एससी और एसटी समुदायों की सुरक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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पत्र में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद, तृणमूल कांग्रेस के राज्य प्रायोजित कार्यकर्ताओं ने राज्य पुलिस के सहयोग से एससी/एसटी समुदाय को निशाना बनाया है और उनकी हत्या, लूटपाट, बलात्कार और भूमि पर कब्जा करने को लेकर हिंसा फैलाई है।

ज्ञापन में आगे कहा गया है "11,000 से अधिक लोग, जिनमें से अधिकांश एससी और एसटी समुदाय से हैं, बेघर हो गए हैं और 40,000 से अधिक क्रूर हमलों की 1627 घटनाओं में प्रभावित हुए हैं।" इसके अलावा 5,000 से अधिक घरों को ध्वस्त किया गया और 142 महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार किया गया। इस दौरान अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित उपनगरीय क्षेत्रों में 26 लोगों की मौत हुई है।

2000 से अधिक एससी-एसटी शरणार्थी

ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि एससी और एसटी समुदाय के घरों, उनकी छोटी दुकानों को ध्वस्त और जला दिया गया। साथ ही लोगों को फिर से अपने घरों में नहीं आने की धमकी दी गई। परिणामस्वरूप, असम, ओडिशा और झारखंड में 2,000 से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के रूप में शरणार्थी बन गए हैं।

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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को "जंगली हिंसा" का सामना करना पड़ा है और उन्हें अपने घरों के पुनर्निर्माण में सक्षम होने, उचित सुरक्षा, चिकित्सा और अन्य सुविधाओं के आश्वासन की आवश्यकता है।
पत्र में मांग करते हुए कहा गया है "हम आपसे तत्काल हस्तक्षेप करने और एससी और एसटी समुदाय को बचाने और पश्चिम बंगाल में सामाजिक सुरक्षा का आश्वासन देने का आग्रह करते हैं।"

शिक्षाविदों ने चुनाव बाद हिंसा पर जताई चिंता

बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेजे गए पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान के लालोस्ट के राजेश पायलट गवर्नमेंट कॉलेज के प्रोफेसर सुभाष पहाड़िया ने कहा, कोई भी चुनाव जीत सकता है, लेकिन प्रतिद्वंद्वी पार्टी का समर्थन करने वालों के खिलाफ अत्याचार करना गलत है।

"मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए, हमने चुनाव परिणामों के बाद सत्तारूढ़ दल द्वारा पश्चिम बंगाल में एससी, एसटी समुदाय के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह लोकतंत्र है और कोई भी जीत सकता है, लेकिन प्रतिबद्ध है किसी के खिलाफ अत्याचार क्योंकि वे आपका समर्थन नहीं करते हैं, गलत है।"

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इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पुनीत कुमार (राजनीति विज्ञान विभाग, मोतीलाल नेहरू कॉलेज) ने कहा कि उन्होंने जमीन पर स्थिति का आकलन किया। "हमने पीड़ितों से, अपने सहयोगियों से जमीन पर बात की और स्थिति का आकलन करने के लिए एनएचआरसी और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के आंकड़ों को ध्यान में रखा। हमने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने और अत्याचार के लिए सत्तारूढ़ दल के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है उन लोगों पर किया जिन्होंने उनका समर्थन नहीं किया।"



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