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Modi-2 Government: बीजेपी के लिए चुनौतियों से भरे रहे दो साल, कई ऐतिहासिक फैसले लिए

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार की दूसरी पारी के दो साल पूरे होने पर 30 मई को भाजपा सभी 4500 शक्ति केंद्रों पर सेवा कार्य करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में प्रदेश महामंत्रियों से चर्चा की। साथ ही प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में वर्चुअल माध्यम से जुड़े। इसमें तय किया गया कि देश के एक लाख गांव में सेवा कार्य किया जाएगा। देश की सत्ता काबिज नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी के 30 मई को दो साल पूरे होने जा रहे है। इस मौके पर बीजेपी सभी 4500 शक्ति केंद्रों पर सेवा कार्य करेगी। कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में हाहाकार मचा है। मोदी सरकार के लगातार सात साल पूर्ण होने अपनी उपलब्धियों का जश्न माने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।

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कई ऐतिहासिक फैसले लिए
नरेंद्र मोदी ने 2014 में अच्छे दिन के वादे के जरिए सत्ता पर काबिज हुए और 2020 में आत्मनिर्भर का नारा दिया। दूसरे कार्यकाल के 2 सालों में मोदी की ऐसी छवि बनी है कि वो कड़े फैसले लेने में हिचकते नहीं हैं। शुरुआती एक साल में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लिए जिन्हें ऐतिहासिक माना गया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या फिर नागरिकता संशोधन एक्ट को पास करना हो, बड़े फैसलों के मोर्चे पर मोदी सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया। लेकिन इन्हीं फैसलों की वजह से कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा। लेकिन सरकार ने दिखा दिया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति यदि मजबूत हो तो कठिन फैसले लिए जा सकते हैं। मोदी सरकार ने दूसरी बार सत्ता में आते ही सबसे पहले मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने का कदम उठाया। मोदी सरकार ने तीन तलाक पर पाबंदी के लिए 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' को लोकसभा और राज्यसभा से पारित कराया।

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गले की हड्डी बना किसान आंदोलन
मोदी सरकार के 7 साल पूरे हो रहे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के 6 महीने भी पूरे हो रहे हैं। नए कृषि कानून मोदी सरकार के लिए गले में हड्डी बनकर रह गए हैं। मोदी सरकार इन कानूनों को किसान के हित में बता रही है तो वहीं किसान इन्हें रद्द कराने की मांग पर पिछले 6 महीने से अड़े हुए हैं। सरकार ने कानूनों में बदलाव करने का भी प्रस्ताव रखा था, जिसे किसान नेताओं ने अस्वीकार कर दिया था। किसान नेता इन कानूनों को रद्द कराने की मांग पर ही अड़े हुए है। वहीं दिल्ली और बंगाल के चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। मोदी-शाह की जोड़ी ने दोनों राज्यों में जमकर चुनाव प्रचार किया। लेकिन इसके बाद भी जीत हासिल नहीं हो सकी।



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