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क्या Covid Vaccine का तीसरा डोज भी लेना होगा जरूरी? बूस्टर डोज पर काम कर रही कई कंपनियां

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ( Second wave of coronavirus ) ने देश भर में तबाही मचाई हुई है। इस बीच ब्रिटेन में कोरोना के ट्रिपल म्यूटेशन ( Triple mutations of corona in Britain ) की खबर सामने आई है। यह वैरिएंट पहले से ज्यादा घातक बताया जा रहा है। इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज ( Corona vaccine booster dose ), जोकि कोरोना वायरस की तीसरा डोज होगा का जिक्र भी जोर पकड़ता जा रहा है। अमरीकी संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फाउची ने जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा हालातों को देखते हुए सालभर के भीतर ही बूस्टर डोज की जरूरत पकड़ सकती है।

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कोरोना वायरस से लड़ाई में बूस्टर डोज अतिमहत्वपूर्ण साबित होगी

वहीं, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी इंफेक्शियस डिजीज के डायरेक्टर फाउची ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ाई में बूस्टर डोज अतिमहत्वपूर्ण साबित होगी। फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बाउर्ला ने बताया कि आने वाले 8 से 12 माह में कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत महसूस की जा सकती है। उन्होंने बताया कि फाइजर ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। दरअसल, बूस्टर डोज का काम बेहद खास होता है। इसको इम्युनोलॉजिकल मैमोरी भी कहा जाता है। हमारी इम्यून सिस्टम उस वैक्सीन का याद रखता है, जो बॉडी को पहले लगाया जा चुका है। ऐसे में बूस्टर की एक छोटी सी भी डोज इम्यून सिस्टम को तुरंत एक्टिव कर देती है, जिसका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है।

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म्यूटेशन के बाद वायरस पहले कहीं ज्यादा खतरनाक

एक्सपर्ट्स की मानें तो वैक्सीन का एक बड़ा डोज देने से उतने अच्छे परिणाम देखने को नहीं मिलते, जितने की कुछ छोटे-छोटे कई बूस्टर डोज देने से। छोटे और कई बूस्टर डोज ज्यादा बेहतर ढंग से एंटीबॉडी विकसित करते हैं। क्योंकि हर बार म्यूटेशन के बाद वायरस पहले कहीं ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं, इसलिए इस अवस्था में बूस्टर डोज की आवश्यक्ता होती है। आपको बता दें कि फिलहाल भारत समेत दुनिया में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए कोरोना वैक्सीन दी जा रही हैं। जिसके चलते वैक्सीन की दो डोज के बीच में कुछ अंतराल रखा गया है। ये दोनों डोज मिलकर ही वैक्सीन की प्राइम डोज कहलाती हैं। इस क्रम में अगर साल भर या उससे ज्यादा समय के बाद कोई और भी डोज लगवाने को दिया जाए तो वह बूस्टर डोज कहलाती है।



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