वैक्सीन से हटेगी पेटेंट सुरक्षा, अमरीका ने किया भारत के प्रस्ताव का समर्थन

वाशिंगटन। कोरोना के खिलाफ जंग में अमरीकी प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। उसने कहा कि वह कोविड-19 टीके पर पेटेंट सुरक्षा हटाने की अंतरराष्ट्रीय मांग का समर्थन करता है। इससे गरीब देशों को टीका मिलने की उम्मीद जगी है। भारत चाहता है कि कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए दुनिया की दूसरी फार्मा कंपनियां भी आगे आएं। वह इस मामले को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में उठा चुका है। भारत ने डब्ल्यूटीओ से मांग की थी कि वह फार्मा कंपनियों को वैक्सीन बनाने की अनुमति दे। हालांकि भारत की इस पहल का दुनिया की दिग्गज फार्मा कंपनियां विरोध कर रही हैं।
अमरीकी ट्रेड प्रतिनिधि कैथरीन टे ने कहा कि कारोबार के लिए बौद्धिक संपदा के अधिकार काफी मायने रखते हैं, लेकिन कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन पर पेटेंट सुरक्षा हटाने के प्रस्ताव का अमरीका समर्थन करता है। उन्होंने कहा, यह वैश्विक स्वास्थ्य संकट है। कोविड-19 की विषम परिस्थितियां हमें बड़ी पहल के लिए बाध्य कर रही हैं।' विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमुख टेड्रोस घ्रेबेसिस ने अमरीका के इस कदम को 'ऐतिहासिक' करार दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ाई में यह यादगार क्षण है। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोरोना वैक्सीन से पेटेंट सुरक्षा हटाने का प्रस्ताव रखा था। विकासशील देश टीकों की किल्लत से जूझ रहे हैं, जबकि अमीर देशों पर टीकों की जमाखोरी का आरोप लग रहा है।
दवा कंपनियां नाराज: अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के इस कदम पर दवा कंपनियों की नाराजगी सामने आ रही है। कंपनियों का कहना है कि जिस उद्देश्य से फैसला किया गया है वह पूरा होना मुश्किल है। तर्क दिया गया कि इस छूट से वैक्सीन का उत्पादन नहीं बढ़ सकेगा, क्योंकि कॉन्ट्रैक्टर्स के पास टेक्नोलॉजी नहीं है।
यह होगा फायदा-
जानकारों का मानना है कि पेटेंट में छूट मिलने से वैक्सीन का उत्पादन तेज हो जाएगा। इससे डिमांड और उत्पादन के फासले को पाटा जा सकेगा। गरीब और विकासशील देशों को भी पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सकेगी। कई देश चाहते हैं कि वैक्सीन को कुछ समय के लिए पेटेंट के दायरे से बाहर रखा जाए।
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