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DRDO ने LCA तेजस से पाइथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइल का पहला परीक्षण किया

नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में उठाए जा रहे सफल कदमों के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को एक बड़ी सफलता मिली है। DRDO ने LCA तेजस से पाइथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया है।

भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस ने अपनी एयर-टू-एयर हथियारों की क्षमता में 5वीं पीढ़ी के पायथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइल (AAM) को शामिल किया है। DRDO के मुताबकि, मंगलवार (27 अप्रैल) को किए गए परीक्षणों का उद्देश्य तेजस पर पहले से ही एकीकृत डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) एएएम की बढ़ी हुई क्षमता (कैपेबिलिटी) को सत्यापित करना था।

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वहीं, DRDO ने हेलीकॉप्टर इंजनों के लिए एकल ‘क्रिस्टल ब्लेड’ विकसित किए हैं और इसने ऐसे 60 ब्लेड स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के लिए हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भेजे हैं।

आधिकारिक बयान में ये कहा गया है कि DRDO ने एकल ‘क्रिस्टल ब्लेड’ प्रौद्योगिकी विकसित की है। इस तरह के 60 ब्लेड हेलीकॉप्टर इंजन एप्लीकेशन के लिए HAL को उसके स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के तहत भेजे गए हैं। बता दें कि अमरीका, फ्रांस और रूस जैसे कुछ देशों में ही इस तरह की प्रौद्योगिकी विकसित करने की क्षमता है, लेकिन अब DRDO ने भी यह क्षमता हासिल कर ली है।

हवा से हवा में दुश्मन को करेगा ढेर

रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा है कि गोवा में चुनौतीपूर्ण हालात में मिसालइल परीक्षणों की एक श्रृंखला पूरी की। इस दौरान डर्बी मिसाइल ने उच्च गति हासिल करते हुए सीधे अपने लक्ष्य पर प्रहार किया और पाइथन मिसाइलों ने भी 100 फीसदी अपने टारगेट को हिट किया। इस परीक्षण ने अपने सभी सुनियोजित उद्देश्यों को पूरा किया है। DRDO ने कहा है कि अब तेजस अपने दुश्मन को हवा से हवा में ही ढेर करेगा।

मालूम हो कि इन परीक्षणों से पहले तेजस में एविओनिक्स, फायर-कंट्रोल रडार, मिसाइल वेपन डिलीवरी सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जैसे विमान प्रणालियों के साथ मिसाइल के एकीकरण का आकलन करने के लिए बेंगलुरु में व्यापक मिसाइल कैरिज उड़ान परीक्षण किए गए थे।

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अब गोवा में पाइथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया। जानकारी के मुताबिक, मिसाइलों को राष्ट्रीय वायु परीक्षण केंद्र (NFTC) से संबंधित भारतीय वायु सेना (IAF) के परीक्षण पायलटों द्वारा उड़ाए गए एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के तेजस विमान से दागा गया।

बता दें कि CEMILAC, DG-AQA, IAF PMT, NPO (LCA नेवी और INS HANSA) से सराहनीय समर्थन के साथ-साथ ADA और HAL-ARDC के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीम के वर्षों की कड़ी मेहनत से ये कार्यक्रम सफल हुआ है।



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