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कब तक खुद को कोरोना वायरस से बचाने की पड़ेगी जरूरत? मिल गया सबसे बड़े सवाल का जवाब

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे देश में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस बीच दिग्गज स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को कम से कम अगले दो से तीन सालों तक के लिए खुद को इस महामारी के खिलाफ तैयार करने की जरूरत है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि जब तक देश में कोरोना वायरस का खात्मा करने वाली ओरल मेडिसिन (खाने या पीने वाली दवा-गोली) उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक हमें एक लंबी दौड़ यानी कम से कम अगले दो से तीन वर्षों के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है।

गुरुग्राम स्थित मेदांता-द मेडिसिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा गुप्ता के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकारों को मौजूदा भयावह स्थिति के उलट अगले कुछ वर्षों के लिए एक अच्छी तरह से बेहद पुख्ता योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के एक मौसमी फ्लू जैसी बीमारी के तौर पर आगे भी बने रहने की संभावना है।

उन्होंने कहा, "भविष्य में क्या होगा, यह एक पहेली बना हुआ है। अगर कोविड के स्ट्रेन ऐसे ही संक्रामक बने रहे तो लंबे वक्त तक इसका सितम बना रह सकता है। यह आने वाले वर्षों में हम पर काफी तेज हमला कर सकता है।"

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डॉ. गुप्ता ने कहा कि कोरोना के लिए आदर्श स्थिति वो होगी जब हमारे पास ओरल दवाएं हों। वो दवाएं, जो प्रभावी रूप से इस खतरनाक वायरस को मार सकें और इन दवाओं का इस्तेमाल ओपीडी के आधार पर करना भी सुरक्षित हो। लेकिन वह वक्त आने तक बाहर निकलते ही मास्क पहनना, हाथ को नियमित तौर पर सैनेटाइज करना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रहना, हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। अब हमे इसे हमारे जीवन का एक हिस्सा बना लेना चाहिए।

वहीं, शिकागो में एलिनॉय यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक कोरोना वायरस एक फ्लू की तरह मौसमी बीमारी हो सकता है। जबकि हैदराबाद के केआईएमएस अस्पताल में वरिष्ठ पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. वी रमन प्रसाद के मुताबिक कोरोना वायरस अब किसी भी अन्य संचारी रोग (कम्यूनिकेबल डिजीज) की तरह कम्यूनिटी में हमेशा के लिए रहने वाला है।

प्रसाद ने बताया, "किसी भी राष्ट्र के लिए एकमात्र विकल्प यह है कि वो अपने अधिकांश नागरिकों का टीकाकरण करे, ताकि बीमारी की गंभीरता रुग्णता और मृत्यु दर के संदर्भ में कम से कम हो। अगले दो से तीन वर्षों के बाद यह वायरस स्थानिक हो सकता है और हमें स्वाइन फ्लू की ही तरह कोविड मामलों की छिटपुट तेजी देखने को मिल सकती है।"

गौरतलब है कि अब तक भारत में कोरोना वायरस के कई वेरिएंट सामने आ चुके हैं। अब देश कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा घातक वेरिएंट्स का सामना कर रहा है। यहां तक कि अब देश को ट्रिपल-म्यूटेंट के खतरे ने भी घेर रखा है।

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कोरोना के E1617 वेरिएंट का पहली बार महाराष्ट्र में पता चला। इसमें दो अलग-अलग वायरस म्यूटेंट हैं जिनका नाम E484Q और L452R म्यूटेशन है। तीसरा म्यूटेंट, डबल म्यूटेंट से विकसित हुआ है और इसमें तीन अलग-अलग कोरोना स्ट्रेन ने मिलकर एक नया वेरिएंट पैदा किया है। इनमें से दो ट्रिपल-म्यूटेंट महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से एकत्र सैंपल में मिले हैं।

ऐसा ही मानना जयपुर चेस्ट सेंटर के वरिष्ठ पल्मनोलॉजिस्ट शुभ्रांशु का भी है। वह कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि चीजों को सामान्य होने में तकरीबन एक से दो साल लग सकते हैं। लेकिन वो भी इस शर्त पर कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करें और सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखें।



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