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दिल्ली में लॉकडाउन से शहर के उद्योग को एक बड़ा झटका लगा

नई दिल्ली। कोरोना वायरल की दूसरी लहर ने पूरे देश भर में तबाही मचा रखी है। दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। कोरोना पर काबू पाने के लिए कई राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ्यू के साथ कड़े नियम लागू किए गए हैं। देश की राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के कारण शहर के उद्योगों को एक बड़ा झटका लगा है। तालाबंदी के कारण शहर के उद्योगपति कई प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। विभिन्न उद्योगों जैसे खेल पाइप फिटिंग बेल्ट हाथ के औजार सहित कई प्रकार के काम धंधे काफी प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा महामारी और लॉकडाउन की वजह से कच्चे माल की कीमतों तेजी आ गई है। जिससे व्यापारियों को एक नई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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कच्चे माल की कीमत में 50 प्रतिशत की वृद्धि
राजधानी दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि प्रतिबंध के कारण कई लोगों के सामने रोजगार का एक बड़ा संकट उभर कर सामने आया है। इस संकट की घड़ी में जीवन व्यतीत करना काफी मुश्किल हो गया है। एक व्यापारी ने कहा हम पिछले कुछ महीनों से कई प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसी भी प्रकार से कोई हल या इससे निपटने के लिए कोई योजना नहीं बना रही है। व्यापारियों का कहना है कि कच्चे माल में करीब 50 प्रतिशत वुद्धि हो गई है।

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बिजली का बिल भरना बड़ी चुनौती
पाइप और फिटिंग उद्योग निर्माता सूबा सिंह ने कहा कि कच्चे माल की दर में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा कोई भी अब सामान खरीदने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि हर कोई अपने स्वास्थ्य और वायरस से डरने के बारे में चिंतित है। सूबा ने कहा कि हमारे लिए बहुत ही कठिन स्थिति पैदा हो गई है। हमको नियमित बिजली बिल का भुगतान करने में परेशानी हो रही है।

प्रतिबंध के कारण नहीं हो रहा उत्पादों का वितरित
उद्योगपति गुरशरण सिंह ने कहा कि लॉकडाउन उन पर भारी पड़ रहा है। लॉकडाउन से पहले जो सामान पहले ही तैयार हो गया था, प्रतिबंधों के कारण उसको नहीं भेजा जा सकेगा। उन्होंने कहा, उत्पादों को वितरित करने में असमर्थ होने के कारण पार्टी ने भुगतान जारी नहीं किया और यह हमारी अर्थव्यवस्था को गड़बड़ा गई है। उन्होंने कहा कि माल तैयार होने के बाद भी अगली पार्टी से पैसे नहीं मिल रहे है।

छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी समस्या
एक छोटे कारोबारी शरण दीप ने कहा कि इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही हैं। कच्चे माल की दर इतनी अधिक है कि मेरे जैसा एक छोटा व्यापारी और निर्माण भी इसे खरीद नहीं सकता है। इस तरह की स्थितियों के बीच जीवित रहना उद्योगपतियों के लिए मुश्किल हो रहा है।



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