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पत्रिका की पहल : राजस्थान में पुलिस-पब्लिक संवाद, डीजीपी आज से करेंगे शुरुआत

राज्य में पुलिस व जनता के बीच दूरी कम करने, आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए राजस्थान पत्रिका पुलिस-पब्लिक संवाद की पहल कर रहा है। डीजीपी लाठर शुक्रवार को राज्य के लोगों से दोपहर ३ बजे वर्चुअल संवाद कर अभियान की शुरुआत करेंगे। वे जनता के सवालों का जवाब भी देंगे। अभियान में रोजाना प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक थाना प्रशासन से उस क्षेत्र की जनता का संवाद होगा। (पत्रिका टीवी, फेसबुक और यू-ट्यूब पर भी दिखाया जाएगा)

बेहतर पुलिसिंग को जनसहयोग जरूरी: लाठर
राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। महिलाओं पर अत्याचार और पुलिस पर हमले जैसी घटनाओं से पुलिस की कार्यशैली भी कठघरे में है। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या पुलिस और जनता के बीच दूरी बढ़ रही है? इसी को लेकर पत्रिका ने पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर से सीधी बातचीत की।

उन्होंने स्पष्ट रूप से माना कि जन सहयोग के बिना अच्छी पुलिसिंग सम्भव नहीं है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि राज्य में एफआइआर के फ्री रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के बाद मामले बढ़े हैं। हर मामले की समय पर तफ्तीश कर उसे अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...।

Q: आमजन में विश्वास व अपराधियों में भय... ध्येय वाक्य कमजोर हुआ है?
हार्डकोर अपराधियों पर राजस्थान पुलिस हमेशा हावी रही है। आज कोई भी कुख्यात अपराधी ऐसा नहीं है, जो सलाखों के पीछे न हो। इस काम में जनता की मदद और अपेक्षित है। पुलिस को समय पर सूचना मिले, यह आवश्यक है।

Q: महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, महिलाएं असुरक्षित महसूस कर रही हैं?
हां, पिछले दिनों में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस त्वरित कार्रवाई भी कर रही है। थाने से लेकर मुख्यालय तक बेहतर मॉनिटरिंग होती है। तय समय में मामले को अदालत तक पहुंचाया जा रहा है। इसीलिए तो झुंझुनूं वाले मामले में आरोपी को कम समय में सजा मिली।

Q: महिला अत्याचारों पर लगाम की पुलिस के पास कोई कार्ययोजना है?
महिला अत्याचार के एक साल में करीब पांच-छह हजार मामले दर्ज हो रहे हैं। वर्षवार देखें तो पुराना कोई भी मामला लम्बित नहीं है। न्याय दिलाने के लिए ऐसे मामलों के निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

Q: मदद मांगने वाले लोग ही पुलिस पर हमला कर रहे हैं, क्या कारण है?
पुलिस और जनता के बीच दूरी कभी नहीं हो सकती। कोरोना काल में पुलिस ही जन सहयोग में सबसे आगे रही है। पुलिस पर हुए हमलों को देखें तो स्थानीय और उस समय के घटनाक्रम भी अहम नजर आते हैं। हां, कोरोना के कारण जनता और पुलिस के बीच नियमित संवाद में थोड़ी कमी आई है। इसे दुरुस्त कर रहे हैं।

Q: जनता और पुलिस के बीच दूरी कम करने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
समन्वय के प्रयास अनवरत रहते हैं। कम्यूनिटी पुलिसिंग, जन सुनवाई तथा पैदल गश्त जैसे कई कदम उठाते रहे हैं। कोरोना के कारण परिस्थिति सामान्य नहीं रही है। थानों की पुलिस को अधिक से अधिक पैदल गश्त कर लोगों से सम्पर्क बढ़ाने के लिए कहा है।



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