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दुनिया में सबसे सस्ती भारत की कोरोना वैक्सीन

भारत में दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन का प्रयोग हो रहा है। यह दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन है। वैक्सीन की देश में अधिकतम कीमत 250 रुपये प्रति खुराक तय है, जो अभी तक दुनिया में लग रही किसी भी वैक्सीन से कम है। यही वजह है कि दुनिया के विकसित देश कोरोना से लड़ाई और वैक्सीन के निर्यात के मामले में भी पिछड़ गए। वैक्सीन विकसित होने से पहले चीन और अमरीका इस दौड़ में सबसे आगे थे लेकिन कीमत व वैक्सीन का कोल्ड चेन मेंटेन और बड़ी संख्या में वैक्सीन के उत्पादन की बाधा को तोड़ नहीं सके।

प्रोडक्शन क्षमता-
60% वैक्सीन की आपूर्ति करता है भारत दुनियाभर में-
भारत वर्ष 2021 के अंत तक 3.13 अरब कोरोना वैक्सीन की खुराक का उत्पादन कर सकता है। सिर्फ सीरम इंस्टीट्यूट 1.4 अरब वैक्सीन उत्पादन कर सकती है। भारत 5 अरब डोज वैक्सीन का उत्पादन कर सकता है। दुनिया की कुल आबादी करीब 7.8 अरब है।

वैक्सीन की कीमत -
चीनी वैक्सीन कोरोनावैक - 2,200
मोडर्ना वैक्सीन -1,800
फाइजर वैक्सीन - 1,400
रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी -730

वैक्सीन डिप्लोमेसी 69 देशों को वैक्सीन की 583 लाख डोज भेज चुका भारत -
कोरोना की लड़ाई में जहां भारत को विकसित देशों की अपेक्षा बेहद कमजोर समझा जा रहा था, लेकिन भारत ने न सिर्फ कोरोना संक्रमण पर काबू पाया, रिकवरी रेट भी दुनिया में बेहतर रहा। इसके बाद वैक्सीन डिप्लोमेसी नीति के तहत अब तक पड़ोसियों समेत दुनिया के 69 देशों को 583 लाख वैक्सीन भेज चुका है। इस मामले में चीन, अमरीका, ब्रिटेन, जापान जैसे देश बहुत पीछे रह गए। पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कूटनीति के तहत भार ने मुफ्त में 79.5 लाख वैक्सीन भेजी।

तीन फायदे -
चीन की सेलिंग और इकोनॉमिकल पॉलिसी को ध्वस्त करने में सफल।
चीन-अमरीका से बेहतर बताने के लिए तेल उत्पादक देशों को मदद।
दुनिया को मेक इन इंडिया यानी नया भारत का संदेश, हर तरफ सराहना।

20 नई वैक्सीन पर अभी काम किया जा रहा है, कई दूसरे व तीसरे चरण में
5-6 माह में अधिकांश वैक्सीन अप्रूवल के साथ लगने के लिए उपलब्ध होंगी
150 से अधिक देशों को भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात कर चुका



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