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पत्रिका ने प्रदेश के विकास का आह्वान किया, तो प्रवासी बोले राजस्थान दिल में बसता है

जयपुर . राजस्थान और राजस्थानी संस्कृति का नाम दुनिया में ऊंचा कर रहे प्रवासी राजस्थानियों ने प्रदेश के विकास में साथ देने का भरोसा दिलाया है। जोधपुर में मूक-बधिर बच्चों की शिक्षा के लिए एक स्कूल भवन का पूरा खर्च उठाने और एक अन्य स्कूल के लिए एक करोड़ रुपए देने की घोषणा कर इसकी शुरुआत भी कर दी। प्रवासी राजस्थानियों का कहना है कि सरकार निवेश प्रक्रिया आसान कर सिंगल विंडो सिस्टम अपनाए तो प्रवासी भारतीय शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यटन, तकनीक सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए तैयार हैं। राजस्थान पत्रिका के 66वें स्थापना दिवस पर आयोजित वर्चुअल 'कीनोट—ग्लोबल' कार्यक्रम में प्रवासी राजस्थानियों ने न्यूयॉर्क में राजस्थान के विकास और राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संकल्प दोहराया। कार्यक्रम का संचालन यूएसए स्थित जयपुर फुट समूह के चैयरमेन प्रेम भंडारी ने किया। उन्होंने राना के अध्यक्ष के के मेहता की मौजूदगी में उनकी ओर से कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल जब चाहे मेहता जोधपुर आ जाएंगे और सुशीला बोहरा स्कूल को एक करोड़ रुपए दे देंगे। उसी समय मूक-बधिर बच्चों के लिए स्कूल निर्माण पर खर्च होने वाली पूरी राशि का चेक भी सौंप दिया जाएगा।

प्रवासी भारतीय अब चैरिटी से बढ़कर निवेश के लिए आगे आएं। जल्द ही राजस्थान में कार्यक्रम आयोजित कर निवेशकों व सरकार के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाया जाएगा। इसमें पुख्ता संकल्प और निवेश के प्रस्ताव सामने आाएंगे।
- शत्रुघ्न सिन्हा, डिप्टी काउंसलेट, काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया

राजस्थान पत्रिका का 60 साल से पाठक हूं। प्रवासियों के मन में राजस्थान है और हर व्यक्ति राजस्थान के लिए काम करना चाहता है। व्यवस्था सुधरे और सरकार चाहे तो निवेश में दिक्कत नहीं आएगी। सेवा और शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरुरत है।
- कनक गोलिया, परफ्यूम व्यवसायी

राजस्थान को विकास के पथ पर अग्रसर करेंगे। सरकार सेमीनार करे, चर्चा करे। सोलर, पर्यटन, पावर प्लांट सहित कई क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता है। राजस्थान पत्रिका ऐसी संस्थाओं या एनजीओ को तलाशने में मदद करे, जो सही मायने में धरातल पर काम कर रही हैं।
- के के मेहता, अध्यक्ष, राजस्थान फाउंडेशन

राजस्थान पत्रिका ने राजस्थानी भाषा के लिए काफी काम किया है। बाहरी देशों में प्रवासियों को उनकी भाषा ही बांधकर रखती है। राजस्थानी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए। मेडिकल सिस्टम के लिए प्रवासी मदद को तैयार हैंं।
-डॉ. शशि शाह, पूर्व अध्यक्ष, राना

भारत में ऐसी कई संस्थाएं जो अच्छा काम कर रही हैं। पत्रिका से गुजारिश है कि महीने मेे एक बार ऐसी संस्थाओं को हाइलाइट करे। ताकि पता चले कि कौनसी संस्था कैसे और कितना काम कर रही हैं। इससे धरातल पर काम करने वाली संस्थाओं को सपोर्ट किया जा सकेगा।
-मनीष डढ्ढा, वाइस चैयरमेन, जयपुर फुट, यूएसए

आप राजस्थानी को देश से बाहर ले जा सकते हो, मगर मन में बसे राजस्थान को बाहर नहीं निकाल सकते। हिंगोनिया गौशाला का एनआरआइ ट्रस्टी हूं। सरकार गायों के चारे में व्यवधान दूर कराए। प्रवासी राजस्थान के लिए जितना भी कर सकते हैं, उनको करना चाहिए।
-अशोक सचेती, डायमंड मर्चेंट

राजस्थान में हाल ही आए बजट में प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बीमा किया है, यह अच्छा है। लेकिन, अस्पतालों में जो कमियां हैं, उन्हें दूर करना चाहिए। पैलेस ऑन व्हीलस की तरह हॉस्पिटल ऑन व्हीलस की शुरुआत की जाए। राजस्थान को बदलने के लिए सिंगल विंडो प्रणाली को बढ़ावा देकर शिक्षा, मेडिकल और उद्योग क्षेत्र के विकास किया जाना चाहिए।
-चंद्र सुखवाल, कोषाध्यक्ष, राना

पत्रिका ने प्रवासियों को माटी से जोडऩे की पहल करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया। नेताओं की इच्छाशक्ति की कमी के कारण राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाया है। सरकार स्थितियों में सुधार करे तो प्रवासी निवेश करने को तैयार हैं।
-प्रेम चंद भंडारी, चैयरमेन, यूएसए स्थित जयपुर फुट समूह

जयपुर फुट के साथ जुडऩे के बाद लोगों की नि:स्वार्थ मदद को जाना। कोरोना के दौरान सभी की मदद की। आज भी मदद के लिए कई केस आते हैं, सभी की मदद करते हैं।
-राजेन्द्र बाफना, जयपुर फुट, यूएसए के सेक्रेट्री

मैं परिवार का पहला व्यक्ति हूं , जिसने पढ़ाई कर कुछ मकाम हासिल किया। राजस्थान छोड़े 50 साल हो गए। राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में पीछे है। इसी कारण ज्यादातर शिक्षा का क्षेत्र ही जहन में रहता है।
-कुशाल चंद सचेती, डायमंड मर्चेन्ट

अब समय है कि हम राजस्थान के लिए कुछ करे। वहां, बच्चे गांवों से शहरों में आ रहे हैं। हमें उन बच्चों को गांवों में ही तैयार करने का अवसर दिलाना होगा। इसके लिए शिक्षा का क्षेत्र विकसित करना होगा। हम राजस्थान में निवेश करना चाहते हैं मगर प्रणाली इतनी खराब है कि अनुमति ही नहीं मिलती।
-डॉ. सुभाष जैन, वरिष्ठ चिकित्सक

राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता का प्रश्न राजस्थान के युवाओं से जुड़ा हुआ है। नेट-जेआरएफ, साहित्य अकादमी में राजस्थानी भाषा को शामिल किया हुआ है। ऐसे में मान्यता मिलनी ही चाहिए।

-दलपत सिंह राजपुरोहित, असिस्टेंट प्रोफेसर, टेक्सास यूनिवर्सिटी

डायमंड का व्यवसाय राजस्थान में बड़ा है मगर सिंगल विंडो प्रणाली समुचित नहीं है, जहां आयात-निर्यात के सभी कार्य एक ही स्थान पर हो जाए। सरकार जयपुर में जल्द डायमंड बूट्स बनाए। ताकि सब कुछ एक छत के नीचे हो।
-सुशील गोयल, जनरल सेकेट्री, डायमंड डीलर्स क्लब

राजस्थान की धरती में काफी खनिज सम्पदा है। देश का 22 प्रतिशत पेट्रोल राजस्थान से निकलता है। पेट्रोल और पानी दोनों का सदुपयोग होना चाहिए। डेयरी का उत्पादन बढ़ाया जाए।
-अशोक पांडे, समाजसेवा के क्षेत्र में कार्यरत

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। हम राजस्थान की बेटियों की पढ़ाई के लिए पत्रिका के साथ मिलकर कार्य करेंगे। प्रयास रहेगा कि बेटियों को अकादमिक और सांस्कृतिक रुप से शिक्षित कर सकें।
-नितिशा बिश्नोई, एडवोकेट

वर्चुअल माध्यम से सभी को एक मंच पर लाने के लिए राजस्थान पत्रिका का धन्यवाद। पत्रिका ने हमेशा उत्साह बढ़ाकर साथ दिया है।
-अश्विन उपाध्याय, समाजसेवा के क्षेेत्र में कार्यरत



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