UP-उत्तराखंड में कल नहीं होगा 'चक्का जाम', राकेश टिकैत ने बताई ये वजह
नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों ( Farms Law ) को वापस लिए जाने की मांग को लेकर बीते दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने कल यानी शनिवार (6 फरवरी) को देशभर में 'चक्का जाम' करने का फैसला किया था, लेकिन उससे पहले अब किसान नेता राकेश टिकैत ( Farmers Law Rakesh Tikait ) का एक बड़ा बयान सामने आया है।
इस आंदोलन से जुड़े किसान संगठनों द्वारा 6 फरवरी को 'चक्का जाम' करने से पहले राकेश टिकैत ने कहा है कि कल (6 फरवरी) उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 'चक्का जाम' नहीं होगा। इन दोनों राज्यों में किसान सिर्फ जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे।
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान नेता राकेश टिकैत और बलबीर सिंह राजेवाल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 'चक्का जाम' नहीं करने की घोषणा की है। किसानों के 'चक्का जाम' को लेकर राकेश टिकैत ने पूरा प्लान बताया है। इससे पहले दिल्ली और एनसीआर में भी 'चक्का जाम' नहीं करने का फैसला लिया गया।
तीन घंटे का होगा 'चक्का जाम'
आपको बता दें कि बीते दो महीनों से अधिक समय से केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातातर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में 6 फरवरी को देशभर में 'चक्का जाम' करने जा रहे हैं। लेकिन अब दिल्ली एनसीआर के बाद अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 'चक्का जाम' नहीं करने का ऐलान किया गया है। 'चक्का जाम' को लेकर दिल्ली, यूपी और हरियाणा की पुलिस ने किसान नेताओं के साथ बैठक की. साथ ही कई रूटों में बदलाव भी किया गया है।
राकेश टिकैत ने बताया कि इस बार 'चक्का जाम' सिर्फ तीन घंटे (दोपहर 12 बजे से दोपहर 3 बजे) का होगा। 'चक्का जाम' के दौरान लोग अपने-अपने इलाकों में सड़कों को जाम करेंगे और रास्तों को रोककर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। किसान प्रदर्शनकारी 'चक्का जाम' के बाद शाम को गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेंगे।
Chakka Jam के दौरान आम लोगों को चना-मूंगफली खिलांएगे किसान, जानिए क्या है किसान संगठनों का प्लान?
किसानों ने बताया है कि 'चक्का जाम' के दौरान जगह-जगह आम लोगों को मूंगफली, चना, पानी, फल, खाना समेत अन्य चीजें बांटी जाएंगी। किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक यह आंदोलन टलता रहे है। हर गांव से दो ट्रैक्टर दिल्ली के प्रदर्शन स्थल पर आएंगे और कुछ दिन धरना स्थल पर रुकेंगे। इसके बाद वापस लौट जाएंगे और फिर दो नए ट्रैक्टर यहां आएंगे और इस तरह से विरोध-प्रदर्शन की यह प्रक्रिया चलती रहेगी।
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