सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नौसेना के INS विराट को तोड़ने पर लगाई रोक
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायाल ( Supreme Court ) ने नौसेना की सेवा से हटाए जा चुके विमानवाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विराट’ (INS Viraat) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज आईएनएस विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी है।
दरअसल एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर उसे बतौर संग्रहालय संरक्षित करने की मांग की थी। आईएनएस विराट को भावनगर के श्रीराम ग्रुप ने खरीदा था। आपको बात दें कि भारतीय नौसेना ने वर्ष 2017 में विमानवाहर युद्धपोत आईएनएस विराट को रिटायर कर दिया था।
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ऐतिहासिक युद्धपोत आईएनएस विराट को तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा फिलहाल यथास्थिति बरकरार रहेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने खरीदने वाले को नोटिस भी जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि एक ग्रुप भविष्य के लिए इसे संरक्षित करना चाहता है और खरीदार को 100 करोड़ रुपए की पेशकश की गई है खरीदार ने इसे कबाड़ बनाने के लिए खरीदा और इसे तोड़ा जा रहा था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इसे तोड़ने से अच्छा है कि उसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए। विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था, जबकि इसे 2017 में नौसेना ने रिटायर कर दिया। इसके बाद इसे एक ग्रुप ने नीलामी में 38.54 करोड़ रुपए में खरीद लिया था।
भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को गुजरात के अलंग जहाज तोड़ने वाले यार्ड में पहुंचाया गया था।
15 साल विराट ने दिखाया दम
करीब 15 साल तक विराट ने अकेले भारत के दोनों समुद्री तट पूर्व और पश्चिम तट के साथ-साथ अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक अकेले ही दुश्मनों को सबक सिखाया।
गिनीज में नाम दर्ज
विराट को भी भारत ने 1987 में ब्रिटिश रॉयल नेवी से खरीदा था। उस वक्त विराट का नाम ‘एचएमएस हर्मेस’ था और ब्रिटेश नौसेना में 25 साल गुजार चुका था। उसने अर्जेंटीना के खिलाफ फॉकलैंड-युद्ध में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था।
विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक समय तक सेवा देने के लिए शुमार है।
विराट की खूबियां
24 हजार टन वजनी था विराट
740 फीट की लंबाई और चौड़ाई करीब 160 फीट थी
1500 नौसैनिक जहाज पर रहते थे तैनात
03 महीने का राशन विराट पर एक समय में रखा रहता
90 दिन से पहले बंदरगाह में नहीं लौटता था विराट
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