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महामारी से लड़ाई: इस माह भारत में मिल सकती है स्पुतनिक वैक्सीन को मंजूरी

नई दिल्ली। कोरोना से जंग के लिए इसी माह भारत में तीसरी वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है। यह दुनिया की तीसरी सबसे प्रभावी वैक्सीन स्पूतनिक-5 है। रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किरिल दिमित्रिक ने बताया है कि जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फरवरी अंत तक टीकाकरण के लिए डिलीवरी शुरू हो जाएगी। द लैंसेट की ओर से जारी स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक स्पूतनिक-5 वैक्सीन के तीसरे चरण में 20 हजार लोगों पर परीक्षण किया गया। यह 91.6 फीसदी प्रभावी रही। इसलिए इसे तीसरी प्रभावी वैक्सीन कहा जा रहा है। ट्रायल के दौरान सबसे कम साइड इफेक्ट के साथ सबसे ज्यादा प्रभावी वैक्सीन रही है। भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड कर रही है।

12 देशों में इस माह से टीकाकरण -
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार इस माह 12 देशों में इसका टीकाकरण शुरू होगा।
बोलीविया, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात, पराग्वे, हंगरी, आर्मेनिया, अल्जीरिया, बोस्नियाई सर्ब गणराज्य, वेनेजुएला व ईरान इन देशों में शामिल हैं।

16 देशों में हो चुकी पंजीकृत-
इस वैक्सीन को मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एडेनोवायरस को बेस बनाकर तैयार किया है। यह रूस, बेलारूस, सर्बिया, अर्जेंटीना, बोलीविया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पराग्वे, तुर्कमेनिस्तान, हंगरी, यूएई, ईरान, गिनी गणराज्य, ट्यूनीशिया व आर्मेनिया सहित 16 देशों में पंजीकृत हो चुकी है।

दुनिया की पहली वैक्सीन, आलोचना: रूस ने 11 अगस्त को सबसे पहले कोरोना वैक्सीन तैयार करने का दावा किया था। तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजों से पहले ही मंजूरी भी दे दी थी। जिसकी कड़ी आलोचना हुई।

अमरीका पहुंची 'स्वेदशी' वैक्सीन-
भारत का पहला 'स्वदेशी' टीका कोवैक्सीन अमरीका में भी लगेगा। वैक्सीन बनाने वाली बायोटेक ने अमरीकी कंपनी ऑक्यूजेन से 55 फीसदी मुनाफे के साथ समझौता किया है। ऑक्यूजेन वैक्सीन का उत्पादन और अमरीका में आपात प्रयोग की अनुमति व बाजार में भी टीका लाने की जिम्मेदारी होगी। इसके तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है।

कोरोना: गलत, झूठी व भ्रामक जानकारियां दी-
कोरोना से बचाव को लेकर दुनिया में फरवरी से मई तक कई गलत, झूठी व भ्रामक जानकारियां साझा की गईं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ग्लोबल पब्लिक हेल्थ की रिसर्च में चीन की साजिश जैसे दावों के अलावा अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के मास्क वाले बयानों से लेकर मेडागास्कर के राष्ट्रपति के उस दावे का जिक्र हैं, जिसमें हर्बल टी को कोरोना का इलाज बताया गया था।



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