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मोदी सरकार में लोकतंत्र पर बड़ा प्रहार, भारत 26 रैंक नीचे फिसला

नई दिल्ली। भारत को दुनिया का सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में एक कहा जाता है। दुनिया में भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था की मिसालें दी जाती रही हैं। वहीं जब से देश में मोदी सरकार अस्तित्व में आई है तब से भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में गिरावट देखने को मिल रही है। यह बात हम नहीं बल्कि 'द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिटÓ की रिपोर्ट कहती है। मोदी सरकार यानी 2014 से अब तक भारत लोकतंत्र सूचकांक में 26 रैंक नीचे गिर चुका है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत '2020 लोकतंत्र सूचकांकÓ की वैश्विक रैंकिंग में 2019 के मुकाबले दो स्थान फिसलकर 53वें रैंक पर आ गया है। रिपोर्ट में इसके पीछे दो मुख्य कारण भी गिनाए हैं। आइए आपको भी बताते हैं...

26 रैंक फिसला भारत
रिपोर्ट के अनुसार भारत को 2019 में 6.9 अंक मिले थे, जो घटकर 6.61 अंक रह गए हैं। ईआईयू के अनुसार भारत में लोकतंत्र के पिछडऩे के दो मुख्य बिंदु हैं। पहला यह है कि मौजूदा सरकार में 'लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने' और दूसरा कारण है नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई है। इन्हीं कारणों के कारण परिणामस्वरूप, भारत को 6.61 अंक मिले और उसकी वैश्विक रैंकिंग 2014 में 27वें मुकाबले 53वें पर आ गई। भारत को 2014 में 7.92 अंक मिले थे, जो उसे अभी तक मिले सर्वाधिक अंक हैं।

2014 के बाद लगातार गिरावट

साल लोकतंत्र सूचकांक अंक
2014 7.92
2015 7.74
2016 7.81
2017 7.23
2018 7.23
2019 6.90
2020 6.61

क्यों आई गिरावट
ईआईयू की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 'अधिकारियों के लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने और नागरिकों के अधिकारों पर कार्रवाई के कारण और गिरावट आई'। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 'भारतीय नागरिकता की अवधारणा में धार्मिक तत्व को शामिल किया है और इसे कई आलोचक भारत के धर्मनिरपेक्ष आधार को कमजोर करने वाले कदम के तौर देखते हैं'। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान अधिकारियों के रवैए के कारण 2020 में नागरिक अधिकारों का और दमन हुआ।'

यह हैं टॉप 5 देश
डेमोक्रेसी इन सिकनेस एंड इन हेल्थ?Ó शीर्षक वाले ईआईयू के ताजा लोकतंत्र सूचकांक रिपोर्ट में में नॉर्वे को पहला स्थान मिला है। इस लिस्ट में आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा टॉप 5 देशों में शामिल है। लोकतंत्र सूचकांक में 167 देशों में से 23 देशों को पूर्ण लोकतंत्र, 52 देशों को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, 35 देशों को मिश्रित शासन और 57 देशों को सत्तावादी शासन के रूप में विभाजित किया गया है। भारत को अमरीका, फ्रांस, बेल्जियम और ब्राजील के साथ 'त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र' की लिस्ट में रखा गया है।



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