म्यांमार में तख्तापलट पर विदेश मंत्रालय का पहला बयान, वहां के हालात पर है हमारी पैनी नजर

नई दिल्ली। म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट की घटना के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से पहला बयान आ गया है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने बयान में म्यांमार की घटना को लेकर चिंता जाहिर है। उन्होंने कहा है कि हमने म्यांमार के घटनाक्रम को गहरी चिंता के साथ नोट किया है। म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया का भारत हमेशा से प्रबल पक्षधर रहा है। हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पहले की तरह बरकरार रखना चाहिए।

म्यांमार में तख्तापलट की खबर, आंग सान सू की हिरासत में, सेना का इस बात से इनकार

म्यांमार में काम करे जनता के पंसद की सरकार

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी सरकार म्यांमार में काम करे।

सू की ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील

बता दें कि सोमवार सुबह होते ही पड़ोसी देश म्यांमार में से तख्तापलट सूचना आई थी। जानकारी के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी की मुखिया आंग सान सू की और राष्ट्रपति को सेना ने लिया हिरासत में ले लिया गया है। इसके साथ ही इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं बंद कर दी गई हैंं। आंग सान सू की ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

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म्यांमार की स्टेट काउंसलर नजरबंद

स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को घर में नजरबंद कर दिया है। म्यांमार के ऑनलाइन पोर्टल म्यांमार नाउ ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया है कि सू की और उनकी पार्टी के अध्यक्ष को सोमवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया है।

सेना ने एक वर्ष के लिए अपने हाथों में लिया नियंत्रण

म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल ने बताया कि सेना ने एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। जानकारी के मुताबिक नेपीडॉ में सभी संचार लाइनों को काट दिया गया है। गौरतलब है कि भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में एक दशक पहले तक करीब 50 साल तक सैन्य शासन रहा था। पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में सत्ताधारी एनएलडी पर धांधली के आरोप लगे थे। इस बीच सेना ने तख्तापलट की खबरों से इनकार किया है।

सेना ने तख्तापलट से किया इनकार

म्यांमार में इस घटना को लेकर कुछ पश्चिमी देशों के राजदूतों ने पहले ही आशंका जाहिर की थी। फिलहाल, म्यांमार की सेना ने बयान जारी कर कहा था कि उसके कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। ये बात अलग है कि संसद सत्र के पहले ही सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव के दौरान वोटों में गड़बड़ी पर कार्रवाई नहीं की गई तो वह ऐक्शन ले सकती है।



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