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किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने की दिल्ली पुलिस से मिली हरी झंडी, 2 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर तैयार

नई दिल्ली। किसानों के समूहों ने दावा किया है कि उन्हें गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई है, वहीं दिल्ली पुलिस ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता अभी भी अंतिम चरण में हैं। किसानों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर शनिवार को दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ किसान संगठनों की बैठक के बाद किसानों और पुलिस की ओर से यह टिप्पणी की गई है।

ट्रैक्टर रैली को हरी झंडी
किसानों के निकायों ने कहा कि पांच अलग-अलग मार्ग होंगे और हम प्रत्येक मार्ग के लिए अलग-अलग मैप बनाएंगे। जब तैयार हो जाएंगे तो हम इसे साझा करेंगे। पंजाब और हरियाणा के किसानों के कई जत्थे राष्ट्रीय राजधानी में 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने के लिए अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों पर निकल पड़े हैं। सिंघू बॉर्डर पर लाइन में सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां नजर आ रही हैं।

रैली में होंगे दो लाख से ज्यादा ट्रैक्टर
किसान संगठनों के अनुसार इस रैली में दो लाख से ज्यादा ट्रैक्टर शामिल होंगे। इस रैली के पांच मार्ग तय किए गए हैं। किसान यूनीयन के अनुसार ट्रैक्टर परेड दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डर से शुरू होंगी। किसान संगठनों के अनुसार हर मार्ग पर किसान ट्रैक्टरों से 100 किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे। उन्होंने कहा कि 70 से 78 फीसदी मार्ग दिल्ली में होंगे जबकि शेष मार्ग राष्ट्रीय राजधानी से बाहर होंगे।

कुछ ऐसा होगा रूट
सिंघू बॉर्डर: ट्रैक्टर परेड का एक संभावित मार्ग गांधी ट्रांसपोर्ट नगर होगा। यहां से परेड कंझावला और बवाना इलाकों से होती हुई जाएगी और वापस प्रदर्शन स्थल पर लौटेगी।
टीकरी बॉर्डर: किसान प्रदर्शन स्थल से अपनी परेड शुरू करेंगे और यह नांगलोई, नजफगढ़, बादली, और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे होती हुई जाएगी।

स्वयंसेवक रहेंगे तैनात
टैक्टरों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए 2,500 स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। भीड़ के अनुसार उनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के हजारों किसान नवंबर के अंत से सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।



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