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Farmer Protest: सरकार से फिर बताचीत को तैयार किसान, रखी ये तीन शर्त

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों ( Farm Bill )के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन ( Farmer Protest ) तीन हफ्तों बाद भी जारी है। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है। आंदोलन के बीच एक बार फिर किसान सरकार से बातचीत को तैयार हैं। लेकिन इस बातचीत से पहले किसान संघों ने सरकार के सामने अपनी तीन शर्तें रखी हैं।

आपको बता दें कि अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसानों ने 14 दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू कर दी है।। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Tomar) ने कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। ये किसान नेताओं को तय करके बताना है कि वे अगली बैठक के लिए कब तैयार हैं।

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किसान संघों ने रखी ये तीन शर्त
सरकार से अब तक रही बेनतीजा बताचीत के बीच किसान संघ एक बार फिर बैठक के लिए तैयार है। किसान संघों का कहना है कि वे हमेशा सरकार से वार्ता को तैयार है, लेकिन अब तक हुई बैठकों के परिणाम के बाद उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए तीन शर्तें रखी हैं। इसके तहत

1. पुराने प्रस्तावों पर नहीं होगी बातचीत। जिन प्रस्तावों को कृषि संघ पहले ही खारिज कर चुका है उस पर दोबारा बातचीत नहीं होगी।
2. किसान संघों का कहना है कि सरकार अब बातचीत करना चाहती है तो उन्हें एक नया एजेंडा तैयार करना होगा। इसी नए एजेंडे पर ही बातचीत होगी।
3. किसानों ने सरकार से बातचीत के लिए अपनी तीसरी जो शर्त रखी है उसके मुताबिक अब जो बातचीत हो वो तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने पर ही केंद्रित होनी चाहिए।
कुल मिलाकर किसान संघों का कहना है कि सरकार इन तीन शर्तों को मानती है तो ही बातचीत संभव है।

पांच दौर की वार्ताएं रहीं बेनतीजा
अब तक सरकार और किसान संघों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि इनमें से एक भी बातचीत के बाद कोई नतीजा सामने नहीं आया है। आपको बता दें कि प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं।

तोमर की टीम का हिस्सा
किसानों से बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र तोम की टीम में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं।

एआईकेएससीसी के सचिव अविक साहा ने कहा कि सरकार बार-बार खारिज किए गए तर्क को सामने ला रही है। किसान वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन तीनों कृषि अधिनियमों और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेना होगा।

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आंदोलन तेज होने के आसार
किसानों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार है। किसान मंगलवार को आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे, इसके लिए किसान नेताओं की अहम बैठक होनी है। किसानों की बैठक के बाद आंदोलन तेज करने का फैसला लिया जा सकता है।



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