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मिसाल: साइबर अपराधों से निपटने के लिए नप्पीनई ने बनाया 'साइबर साथी'

नई दिल्ली।

हमारे देश में जब इंटनेट की दखल इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है तो साइबर अपराध भी बढ़े हैं। लोग आए दिन बैंक संबंधी ठगी का शिकार होते हैं, लड़कियों को ‘मॉर्फ्ड’ फोटो के जरिए लैकमेल किया जाता है।
इस तरह के अपराध का शिकार होने के बाद उन्हें पता ही नहीं होता कि कहां एफआइआर कराएं, कानून कौनसा है, कैसे मदद मिलेगी। ऐसे में तकनीक का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करने वाले युवाओं को बताने की जरूरत है कि अगर ऐसा जुर्म किया तो सजा जरूर मिलेगी‌। इस काम में नप्पीनई एन. एस. साइबर साथी के जरिए लोगों की मदद कर रही हैं।

साइबर हमला बड़ा खतरा

नप्पीनई के अनुसार, कोई भी बड़ा साइबर हमला देश की सुरक्षा से जुड़ा होता है। सोचिए हमारे न्यूक्लिलयर पाॅवर प्लांट्स पर साइबर हमला हो जाए तो क्या होगा? हैकिंग का शिकार कंपनियों को एक दिन में करोड़ों का नुकसान होता है।

कमजोर है कानून

नप्पीनई के मुताबिक, हमारे देश में साइबर कानून वर्ष 2000 में लागू हो गया था लेकिन यह बहुत ही उलझा हुआ है। आम आदमी को इस कानून में पता ही नहीं चलता कि ठगी या ब्लैकमेलिंग का शिकार होने के बाद कहां जाए। कानून ऐसा होना चाहिए कि वह जुर्म करने से रोके, जिसकी कमी भी इसमें है।

साइबर साथी मदद करता है दोस्त जैसे

नप्पीनई के अनुसार, हमारे देश में साइबर कानून होने के बावजूद बहुत कम लोगों को इसके तहत सजा मिली है। मैं चाहती थी कि जैसे किसी भी परेशानी में पडऩे में हम अपने दोस्त को सबसे पहले बताते हैं, उसी तरह से साइबर अपराध होने पर लोग एक दोस्त की तरह ‘साइबर साथी’ के पास आएं, जहां हम उसे सही सलाह दे सकें। इसलिए सात साल पहले मैंने ‘साइबर साथी’ संस्था की शुरुआत की।



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