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किसानों पर एक और आफत! 1 रुपये किलो से भी कम कीमत पर टमाटर बेचने को मजबूर

नई दिल्ली। देश की राजधानी में पिछले 29दिन से किसान घरने पर बैठे है। हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी किसानों का हौसला नहीं तोड़ पा रही है। उनकी मांग है कि सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करे। किसान अपनी दिक्कतों को खत्म करने के लिए सरकार से गुहार लगा रही है। हालांकि अभी तक उनके मांगे को लेकर सरकार ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है। इस बीच किसानों के लिए एक नई आफत खड़ी हो गई है।

30 पैसे किलो बिक रहे टमाटर

दरअसल, आंध्र प्रदेश में टमाटर की कीमत 30 से 70 पैसा प्रति किलो तक पहुंच गयी है। किसान अपने फसल को सड़कों पर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। प्रदेश के रायलसीमा इलाके में टमाटर के लिए प्रसिद्ध बाजार पाथीकोंडा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी (APMC) में टमाटर को कौड़ियों के दाम पर खरीदा जा रहा है। हालांकि ये थोक कीमत है लेकिन किसानों को फुटकर में भी यही रेट मिल रहा है।

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क्यों गिरे टमाटर के भाव?

किसान का कहना है कि जितने में उनके टमाटर बिक रहे हैं उससे ज्यादा तो उन्हें टमाटर को बाजार तक लाने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं। मीडिया से बात करते हुए किसानों ने बताया कि टमाटर उगाने और कीटनाशक आदि पर प्रति एकड़ 30 हजार रुपये खर्च किये हैं। इसके अलावा उन्हें मंडी तक टमाटर लाने के लिए वाहन का भाड़ा भी देना पड़ता है। औऱ यहां बदले में हमें 50 पैसे दिए जा रहे हैं।

वहीं मंडी प्रबंधकों का कहना है कि मंडी में अचानक सैकड़ों टन टमाटर आ गया, जिसकी वजह से कीमतें काफी नीचे आ गयीं। चक्रवात की वजह से आई बारिश की वजह से इस साल टमाटर की फसल जबरदस्त हुई है। ऐसे में अधिक मात्रा में होने की वजह से रेट गिर रहे हैं।

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फलों-सब्जियों पर भी हो MSP

बता दें सब्जी और फल के लिए किसी तरह का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होता। यहीं वजह से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। मंड़ी वाले जो रेट तय करते हैं किसानों को मजबूर उस रेट पर फसल को बेचना पड़ता है। करीब 23 फसलों के लिए सरकार एक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। इनमें से सभी अनाज की कैटेघरी में आते हैं। हालांकि केरल की सरकार ने किसानों की समस्या को देखते हुए हाल ही में फलों-सब्जियों पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है। लेकिन बाकी राज्यों में ऐसा कोई नियम नहीं लाया गया है।

 



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