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पानी की बर्बादी और फिजूलखर्ची अब पड़ेगी भारी

नई दिल्ली.

देश में पेयजल की बर्बादी अब भारी पड़ेगी। जल शक्ति मंत्रालय के अधीन केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (CGWA) ने देश के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ नागरिकों को पहली बार यह आदेश जारी किया है। अब देश में कोई भी व्यक्ति और सरकारी संस्था अगर भूजल स्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी
की बर्बादी या बेजा इस्तेमाल करता है, तो यह एक दंडात्मक दोष माना जाएगा।

इससे पहले, भारत में पानी की बर्बादी को लेकर दंड का कोई प्रावधान नहीं था। घरों की टंकियों के अलावा कई बार टैंकों से जगह-जगह पानी पहुंचाने वाली नागरिक संस्थाएं भी पानी की बर्बादी करती हैं। देश में प्रत्येक दिन 4 करोड़ 84 लाख 20 हजार घन मीटर यानी एक लीटर वाली 48.42 अरब बोतलों जितना पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि इसी देश में करीब 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिलता। वहीं, 60 करोड़ लोग जल संकट से जूझ रहे हैं।

उल्लंघन किया तो उठाएंगे सख्त कदम

CGWA ने पानी की बर्बादी और बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाने को पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 की धारा पांच की शितयों को और मजबूत किया है। सीजीडल्यूए ने प्राधिकरणों और लोगों को दो बिंदु वाले आदेश में कहा है कि आदेश जल आपूर्ति नेटवर्क, जल बोर्ड, जल निगम, वॉटर वर्स, नगर निगम, पंचायत सभी पर लागू होगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधान किए जाएंगे।

यह कहा था एनजीटी ने

एनजीटी ने राजेंद्र त्यागी और गैर सरकारी संस्था फ्रेंड्स की ओर से गत वर्ष 24 जुलाई को पानी की बर्बादी पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि पर्यावरण कानून का पालन आदेशों का उल्लंघन करने वालों से टोकन मनी रिकवरी भर से नहीं हो जाता है। इस वर्ष 15 अटूबर के एनजीटी के आदेश का अनुपालन करते हुए सीजीडल्यूए ने आदेश जारी किया है।



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