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देश के कई राज्यों में अलग-अलग नाम से फैला है एमडी ड्रग का काला कारोबार

नई दिल्ली।

हीरा नगरी सूरत में इन दिनों एमडी ड्रग का काला कारोबार जोरों पर है। अब तक सूरत, मुंबई और वापी से करीब 15 मामलों में 35 से अधिक एमडी ड्रग डीलरों को गिर तार किया गया है।

सूरत में इसका खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने सिंथेटिक एमडी ड्रग बनाने का कारखाना पकड़ा। वहीं, एक औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गांजे के पौधे भी मिले। चौंकाने वाला खुलासा है कि अफीम, चरस, गांजा और दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले सिंथेटिक एमडी (मेफेड्रोन) ड्रग नेटवर्क के तार महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान से भी जुडऩे लगे हैं।

मुंबई से लॉकडाउन के दौरान इसकी सह्रश्वलाई घटी तो शातिरों ने प्रतिबंधित व ए सपायरी दवाइयों से घर में ही ड्रग बनाना शुरू कर दिया। सूत्रों के अनुसार सूरत और मुंबई में 2000 से अधिक पैडलर नशे की बिक्री में सक्रिय हैं। लॉकडाउन में ड्रग पैडलर ने पांच गुना दामों पर बिक्री की।

नाइट पार्टियों से हो रही बिक्री!

एमडी ड्रग के मामले पकड़ा गया मास्टर माइंड सलमान व रसूखदार परिवार का आदिल दोनों नशेड़ी हैं। वे युवाओं को लत लगाने व एमडी ड्रग बेचने के लिए नाइट पार्टियों का आयोजन करते थे। विशेष पार्टियों के लिए उन्होंने डुमस में फ्लैट ले रखा था। पुलिस को फ्लैट से युवतियों के कपड़े भी मिले।

इंजीनियर ने फार्मा किए मित्र से सीखा

सूरत में एरोनॉटिकल इंजीनियर संकेत कड़ोदरा ने सिंथेटिक एमडी ड्रग बनाने के लिए लैबनुमा कारखाना तैयार किया। चौंकाने वाली बात है कि लैब उसने अपने एम. फार्मा मित्र प्रज्ञेश की मदद से तैयार की।

बॉलीवुड से म्यांऊ- म्यांऊ वर्जन चर्चित

एमडीएमए तैयार करने में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन विभिन्न दवाओं, चीनी व अन्य उद्योगों से मिलते हैं। पार्टी ड्रग के रूप में इसके पॉपुलर होने के बाद इसके कई नए वर्जन भी आए हैं। यह डिजाइनर ड्रग भी कहलाता है। जिसे रिडिजाइन कर नियमों के अनुरूप बना दिया जाता है, लेकिन इसके प्रभाव प्रतिबिंधित ड्रग जितने ही घातक होते हैं। बॉलीवुड से म्यांऊ-म्यांऊ वर्जन कॉफी चर्चित रहा है।

मुंबई से पूरे देश में होती है आपूर्ति

पार्टी ड्रग यानि एमडीएमएम या मेफेड्रोन की आपूर्ति मुंबई से पूरे देश में होती है। कुछ साल पहले एटीएस ने ओशिवारा के एक लैट से 30 करोड़ की एमडी ड्रग बरामद कर बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया था। स्ट्रगलर मॉडल्स से बॉलीवुड पार्टियों में पहुंचती थी। कूरियर व डीलरों के तार अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफियाओं से जुड़े हैं।

ओडिशा से आ रहा गांजा

मादक पदार्थों की तस्करी व बिक्री में बड़े नेटवर्क गांजे की बिक्री का है। गांजा बड़े पैमाने पर ओडिशा से तस्करी होता है। सूरत में ओडिशा प्रवासी श्रमिक बहुल इलाकों से इसकी बिक्री होती है। इसी तरह हेरोइन, चरस, अफीम आदि राजस्थान समेत उत्तर व मध्य भारत के राज्यों से आते हैं।

दिमागी रसायनों पर तेज असर

पार्टी ड्रग एमडी या एमडीएमए को अलग-अलग तरीकों से लिया जाता है। यह दिमाग के तीन रसायनों डोपामिन, सेरेटोनियन, नॉरेएफेथरीन को नियंत्रित करती है, जिससे व्यक्ति में शुरू में गुड फिलिंग और फोकस आता है। घुलने मिलने की क्षमता बढ़ जाती है। उर्जा का अनुभव होता है, लेकिन यह प्रभाव 3-8 घंटे तक रहता है।



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