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भारतीय छात्रों का विदेश में पढऩे का जुनून कम नहीं, कोरोना महामारी के बीच बुन रहे उड़ान के सपने

नई दिल्ली.

कोरोना महामारी के बावजूद भारतीय छात्रों का विदेश में पढऩे का जुनून कम नहीं हुआ है। सपनों को पूरा करने के लिए छात्र उड़ान भरने को तैयार हैं। हालांकि अब छात्रों की वरीयता बदल गई है। हमेशा से हिट लिस्ट में रहे अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा व ऑस्ट्रेलिया की जगह अब छात्रों का रुझान उन देशों में बढ़ा है, जहां कोरोना का जोखिम कम है।

स्वीडन, इजराइल और न्यूजीलैंड का नाम सबसे आगे है। आपदा में अवसर तलाशते हुए ये देश छात्रों को नए सिरे से सुविधाओं की पेशकश कर रहे हैं। स्वीडन दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, देश में पढ़ाई के इच्छुक छात्रों में करीब 13% की वृद्धि हुई है। स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 2019 में 3,526 छात्रों ने आवेदन किया था, 2020 में आंकड़ा बढक़र 6,811 हो गया। वहीं, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए 2,044 छात्र आवेदन कर चुके हैं। इजराइल की हाइफा यूनिवर्सिटी में आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 25% इजाफा हुआ है।

भारत सरकार ने भी शुरू किए प्रयास

भारतीय छात्रों के विदेशों में पढ़ाई के रुझान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी कदम उठाने की शुरुआत की है। न्यूजीलैंड ने आइआइटी दिल्ली में अपना शिक्षण केंद्र स्थापित किया है। दोनों देशों के बीच अच्छे शैक्षणिक संबंध स्थापित करने के लिए यह एक बड़ा फैसला है। इजराइल भी देश से बाहर अपना केंद्र स्थापित करने पर विचार कर रहा है।

विदेशी यूनिवर्सिटी अपना रहीं नए तरीके

  • - पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन मूवी, रात्रिकालीन विमर्श, खेल, वर्चुअल तरीके से शैक्षणिक भ्रमण महामारी के दौरान भी जारी रहे।
  • - इजराइल ने छात्रों को देश में आकर 2020-2021 शैक्षणिक सत्र के लिए पढ़ाई करने की अनुमति दे दी है। हाल ही में मुंबई से बड़ी संख्या में पीएचडी शोधार्थी तेल अवीव पहुंचे।
  • - न्यूजीलैंड ने भारतीय छात्रों के बीच ब्रांडिंग शुरू कर दी है। छात्रवृत्ति की पेशकश के साथ ही सीमित संख्या में कैंपस में जाने की अनुमति दी जा रही है।
  • - कोरोना के दौरान उन छात्रों को शॉर्ट टर्म वीजा देने की योजना बनाई है
  • - जिनका वीजा जल्द ही खत्म होने वाला है पर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध होने की वजह से वह लौट नहीं सकते हैं।
  • - स्वीडन सरकार ने सीमित संख्या में कैंपस में प्रवेश को अनुमति दी है।


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