Header Ads

विजय माल्या, नीरव मोदी के अलावा 70 से ज्यादा बैंक डिफाल्टर भागे, सरकार सिर्फ दो को भारत ला सकी

मुंबई । सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जवाब में केंद्र ने ये बात स्वीकार की है कि 72 फरार आर्थिक अपराधियों में से सरकार पिछले लगभग छह वर्षों में केवल दो को भारत लाने में सफल हो पाई है । सरकार ने 4 जनवरी 2019 को सभी 27 व्यवसायियों के नाम प्रस्तुत पेश किए थे, जिन्होंने 2015 से बैंक ऋण या अन्य आर्थिक अपराधों पर डिफॉल्टर घोषित किया गया था। 5 फरवरी, 2020 को वित्त राज्यमंत्री एस.पी. शुक्ला ने लोकसभा में बताया कि वर्तमान में कुल 72 भारतीयों पर धोखाधड़ी या वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं जो विदेश में हैं और उन्हें देश वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

एक महीने में भारत आ सकता है विजय माल्या, जानिए सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में केंद्र सरकार ने क्या दी जानकारी

आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी थी जानकारी -
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे ने विदेश मंत्रालय (एमईए) में एक आवेदन दायर किया और 27 फरार लोगों में से उन लोगों का विवरण मांगा, जिन्हें सफलतापूर्वक देश वापस लाया गया था। घाडगे के मुताबिक, "मुझे यह जानकर झटका लगा कि आज तक केवल विनय मित्तल और सनी कालरा नाम के 2 भगोड़ों को ही भारत वापस लाया जा सका है। घाडगे ने कहा कि आरटीआई का जवाब अन्य फरार लोगों पर कोई टिप्पणी नहीं करता है, जिनमें से कई बहुत बड़े नाम हैं।"

भगोड़ों की लिस्ट में शामिल थे ये नाम-
2019 में लोकसभा में एमओएसएफ के जवाब के अनुसार, हिट-लिस्ट में व्यक्ति और परिवार दोनों शामिल थे । इसमें विजय माल्या, नीरव मोदी, नीशाल मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, नितिन जे. संदेसरा, दीप्ति चेतनकुमार संदेसरा, सनी कालरा, संजय कालरा, एस.के. कालरा, आरती कालरा, वर्षा कालरा, उमेश पारेख, कमलेश पारेख, नीलेश पारेख, आशीष जोबनपुत्र, प्रीति आशीष जोबनपुत्र, हितेश एन.पटेल, मयूरी पटेल, राजीव गोयल, अलका गोयल, पुष्पेश बैद, जतिन मेहता, एकलव्य गर्ग, विनय मित्तल, सब्या सेठ और रितेश जैन के नाम शामिल हैं।

मार्च 2018 में लोकसभा में पूर्व में दिए गए एक बयान के अनुसार, सरकार ने कहा था कि 31 आर्थिक अपराधी विदेश भाग गए थे, और उनमें से कई एक साल बाद 2019 में उपलब्ध कराई गई सूची में भी शामिल थे। 2018 की सूची में अमी नीरव मोदी, संजय भंडारी, सौमित जेना, विजयकुमार रेवाभाई पटेल, सुनील रमेश रूपाणी, सुरेंद्र सिंह, अंगद सिंह, हरसाहिब सिंह, हरलीन कौर, नितिन जे. संदेसरा, हेमंत गांधी, ईश्वर भट्ट, एम.जी. चंद्रशेखर, सी.वी. सुदेवदीर, नौशा कदीजाथ और सी.वी. सादिक शामिल थे।

भगोड़ों के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रही सरकार -
वित्त राज्यमंत्री एस.पी. शुक्ला ने आगे कहा कि सरकार मामलों के आधार पर, लुकआउट सर्कुलर, रेड कॉर्नर नोटिस, प्रत्यर्पण अनुरोधों या कार्रवाई के आधार पर भगोड़े आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। सरकार ने कहा कि प्रत्यर्पण विकल्प काफी जटिल है, क्योंकि इसमें द्विपक्षीय संधियों के अनुसार संबंधित देश और अपने घरेलू कानूनों के साथ कानूनी प्रक्रिया शामिल है, यदि कोई हो, भले ही भगोड़ों की संख्या एक वर्ष में तीन गुना हो जाए।

इंडोनेशिया से हुआ था प्रत्यर्पण -
आर्थिक भगोड़े सनी कालरा और विनय मित्तल को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को धोखा देने के विभिन्न आरोपों का सामना करने के लिए वापस लाया गया था। 2018 में इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित किए गए मित्तल पर 7 बैंकों को लगभग 40 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है, जबकि मार्च 2020 में सीबीआई द्वारा वापस लाए गए सनी कालरा पर पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से जुड़े 10 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का आरोप है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.