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चावल के 5 दानें बदल देगें आपकी किस्मत, जानें इसके चमात्कारिक उपाय

नई दिल्ली। हमारे हिदूं धर्म में हर पूजा के दौरान चावल का विशेष महत्व है। चावल के दानों के बगैर हर पूजा अधूरी है। इसलिए हर पूजा पाठ में इसका उपयोग किया जाता है। इतना ही नही पूजा सामग्री में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए भी चावल का उपयोग किया जाता है। चावल का उपयोग हर किसी भगवान को चढ़ाने के लिए किया जाता है। कुछ चीजे ऐसी है जिसे किसी भगवान को चढ़ाना निषेध है जैसे तुलसी को गणेश जी को नहीं चढ़ाई जाती तो वहीं हल्दी शिव को नहीं चढ़ती। दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ाई जाती लेकिन चावल हर भगवान को चढ़ते हैं।

लेकिन चावल ऐसी चीज है जो हर भगवान को चढ़ाया जा सकता है। पर चावल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चावल टूटे हुए न हों। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है अत: सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। मात्र 5 दाने चावल रोज चढ़ाने से अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

पूजा के दौरान शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं।

घर में अन्नपूर्णा माता की प्रतिमा को चावल की ढेरी पर पर स्थापि‍त करना चाहिए। जीवनभर धन-धान्य की कमी नहीं होती हैं।

पूजन के समय अक्षत इस मंत्र के साथ भगवान को समर्पित किए जाते हैं :

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:. मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥

इस मंत्र का उच्चारण करने का तात्पर्य ही यही होता है कि हम आपके द्वारा दिए गए अन्न का धन्यवाद करते है। और जो कुछ भी हमें अन्न से प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है और इस आहार को ग्रहण करके आप भक्त की भावना को स्वीकार करें।

पूजा में पूर्ण अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो। अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय यह भाव रहता है अत: हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है।

चावल के 5 दाने भी उतना ही फल देते हैं जितना एक चुटकी चावल या एक मुट्ठी चावल.... धन प्राप्ति के लिए सबसे बेहतर उपाय है मात्र एक चुटकी चावल। पूरी श्रद्धा से प्रतिदिन अपने इष्टदेव को अर्पित करें और पाएं चमत्कारिक फल...



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