2 वर्षों में देशभर में 32 गैंडों को मारा गया, 10 साल में एक सींग वाले 102 गैंडों का हुआ शिकार
नई दिल्ली।
भारतीय गैंडा, जिसे एक सींग वाला गैंडा भी कहा जाता है, विश्व का चौथा सबसे बड़ा जलचर जीव है। लेकिन आज यह जीव अपने आवासीय क्षेत्र के घट जाने से संकटग्रस्त हो गया है। दूसरी तरफ घात लगा कर बैठे शिकारी भी कम नहीं। इनका शिकार नहीं रुक रहा है। यही कारण है कि गत दो वर्षों में देशभर में 32 गैंडों को मार डाला गया। हालांकि, वन विभाग की ओर से कार्रवाई करते हुए 69 शिकारियों को गिर तार भी करवाया गया है। यह खुलासा एक आरटीआइ के माध्यम से हुआ है।
नोएडा के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा 2018 में लगाई गई एक आरटीआइ से बड़ा खुलासा हुआ। यह कि पिछले दस वर्षों में एक सींग वाले 102 गैंडों का शिकार देश भर में हुआ था। इसके बाद काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 100 से ज्यादा वन रेंजरों की भर्ती भी की गई। जिससे इनके शिकार पर लगाम लग सके। इसी कड़ी में 2018 के बाद की स्थिति को जानने के लिए रंजन तोमर ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण यूरो में एक आरटीआइ लगाई थी। जिसमें पिछले दो वर्षों में इन गैंडों के शिकार संबंधी जानकारी मांगी गई थी। इस दौरान 32 गैंडों को मौत के घाट उतार दिया गया। दो वर्षों में 69 शिकारियों को भी पकड़ा गया है।
अब सिमट गए आवास स्थल
अभी भारत के असम और नेपाल की तराई के कुछ संरक्षित इलाकों में पाया जाता है। जहां इनकी संख्या हिमालय की तलहटी में नदियों वाले वन्यक्षेत्रों तक सीमित है। इतिहास में भारतीय गैंडा भारतीय उपमहाद्वीप के स पूर्ण उत्तरी इलाके में पाया जाता था। जिसे सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं। नेपाल, आज का बांग्लादेश और भूटान भी इसके घर थे। 20वीं सदी की शुरुआत से यह विलुप्तता के कगार पर है।
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