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फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बुरा दौर: लाॅकडाउन में 12 फीसदी सिनेमाघर हमेशा के लिए हुए बंद, सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की हालत गंभीर

नई दिल्ली।

कोरोना काल में सबसे बुरे दौर से गुजर रही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry in India) को जल्दी राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सिनेमाघरों का अस्तित्व ज्यादा संकट में हैं, जो आठ महीने भारी घाटा झेल चुके हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (FICCI) के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान 12 फीसदी सिनेमाघर हमेशा के लिए बंद किए जा चुके हैं। चूंकि, कई राज्यों में अब तक सिनेमाघर खोलने की इजाजत नहीं मिली है, इसलिए मुमकिन है कि कुछ और सिनेमाघरों में फिर कभी रोशनी न हो। देश में करीब 10 हजार सिनेमा-स्क्रीन हैं। इनमें सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की हालत ज्यादा खराब है। लगातार बंद रहने से इनके कर्मचारियों के वेतन और दूसरे खर्च का बंदोबस्त करना भारी पड़ रहा है।

जहां खुल गए, वहां दर्शक नहीं आए

कुछ राज्यों में सिनेमाघर 15 अक्टूबर से खुल जरूर गए हैं, लेकिन वहां 50 फीसदी दर्शक भी नहीं जुट पा रहे हैं। कोरोना को लेकर एहतियात बरत रहे लोग फिलहाल भीड़ में जाने से बच रहे हैं।

महाराष्ट्र के फैसले से और बढ़ी मायूसी

जब तक महाराष्ट्र में सिनेमाघर खोलने की हरी झंडी नहीं मिलती, नई फिल्मों का प्रदर्शन मुमकिन नहीं है। सिनेमाघर मालिकों को उम्मीद थी कि महाराष्ट्र सरकार दीपावली के आसपास सिनेमाघर खोलने की इजाजत दे देगी, लेकिन वहां इन्हें 30 नवम्बर तक और बंद रखने का फैसला किया गया है। राजस्थान में भी सिनेमाघर नवम्बर में नहीं खुलेंगे।

अमरीका और ब्रिटेन तक यही संकट

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थिएटर-चेन Cine World ने अमरीका में अपने 536 और ब्रिटेन में 127 सिनेमाघर बंद करने का फैसला किया है। इन सिनेमाघरों के 45 हजार कर्मचारियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा।



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