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Delhi Pollution: फिजा में बढ़ रहा प्रदूषण का स्तर, कोरोना संकट के बीच फिर रुक सकते हैं विकास कामों के पहिए

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की फिजा में एक बार फिर प्रदूषण ( Delhi Pollution ) का स्तर बढ़ने लगा है। प्रदूषण के बढ़ने के साथ ही कई तरह की चुनौतियां सामने आ रही हैं। बीमारियों का डर, विकास कामों पर दोबारा ब्रेक लगने का डर और सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संकट में संक्रमित होने की संभावना बढ़ने का खतरा। यानी फिजा में प्रदूषण स्तर का बढ़ना लोगों के जहर घुलने के बराबर है।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को देखते हुए सरकार की ओर से प्रयास शुरू हो गए हैं, लेकिन जल्द ही इन पर काबू नहीं किया तो आने वाले दिनों में ये समस्या काफी गंभीर परिणाम दे सकती है।

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दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गुरुवार को दिल्ली पॉल्यूषन कंट्रोल कमिटी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक आनंद विहार इलाके में एक्यूआई 210 रहा, जबकि पटपड़गंज में ये 214 और बवाना में 251 के निम्न स्तर पर रहा।

यानी राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और हवा जहरीली होती जा रही है। दिल्ली आम आदमी पार्टी सरकार ने इसके लिए पराली को प्रमुख वजह बताया है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली को मुख्य वजह बताया है। दिल्ली में वायु प्रदूषण का 45 प्रतिशत हिस्सा पंजाब, हरियाणा और यूपी में जलाई जाने वाली पराली है।

आप के मुताबिक इन राज्यों में 35 मिलियन टन पराली जलने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों को आगाह किया है कि पराली जलाने पर रोक लगाएं।

पार्टी नेता राघव चड्ढा के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में पंजाब में 9 और हरियाणा में 3 गुना पराली जलानी में बढ़ोतरी हुई है। जो गंभीर विषय है।

घातक हो सकता है कोरोना वायरस
कृषि एवं पर्यावरण विशेषज्ञ का कहना है कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआं लोगों के श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। इससे कोरोना वायरस का असर और घातक हो सकता है।

बीमारियां बढ़ने का भी खतरा
प्रदूषण का यह स्तर बीमारों के लिए खतरा है। इससे सांस संबंधी बीमारियों के साथ अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ये धुआं श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।

औद्योगिक इकाइयों का धुआं भी खतरनाक
दिल्ली की हवा में प्रदूषण के स्तर की बढ़ने की प्रमुख वजहों में औद्योगिक इकाइयों से निकला धुआं भी है। यही वजह है कि जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है दिल्ली सरकार विकास कामों पर रोक लगा देती है। एक बार फिर विकास कामों के पहिए रुकने के आसार बन रहे हैं।

हालांकि लॉकडाउन के बाद बड़ी मुश्किल से गाड़ी पटरी पर आई है, लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो एक बार फिर कंस्ट्रक्शन और औद्योगिक इकाइयों के काम पर ब्रेक लग सकता है। वहीं वाहनों से निकलने वाले धुएं पर भी नियंत्रण जरूरी हो गया है।

उठाने होंगे सख्त कदम
अगर प्रदूषण को हमेशा के लिए खत्म करना है तो दीर्घकालिक उपायों को गति देनी होगी। निगरानी बढ़ानी होगी। जन जागरूकता के साथ-साथ सख्त रवैया अपनाना होगा।



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