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प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हो गया था अपनी मौत का अभास, मौत से एक दिन पहले होने लगी थी बैचेनी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक सा नाम थी जिसकी अवाज से देश के लोद तो क्या विदेश क लोग भी एक बार कांप जाते है। उनकी बुंलद आवाज के सामने अच्छे अच्छे लोगों की बोलती बंद हो जाती थी। राजनीति में तेज और फौलादी इरादों के लिए विख्यात इस महिला ने देश से विदेशों तक अपना ढंका पीटा। लेकिन 31 अक्टूबर का वो दिन देश के लिए एक काला अध्याय बनकर साबित हुआ जब देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इंदिरा गांधी नें प्रधानमंत्री पद को तीन बार बार संभाला। उसके बाद 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई।

भारत की तेज तर्रार महिला जिसकी आवाज की गूंज से ही दुश्मन भारत की ओर देखने से ही खौफ खा जाते थे। उनकी अचानक हुई मौत से देश को एक बड़ा झटका लगा था। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को अपनी मौत का अभास पहले ही हो गया था। इसलिए अपनी मौत से एक दिन पहले ही इंदिरा गांधी ने अपना भाषण बदल दिया था और जनता के सामने ऐसा कुछ कह दिया, जिसे सुनकर सब हैरान हो गए थे। यहां तक कि मौत से पहले की इंदिरा गांधी ने जागकर काटी थी उस समय बहू सोनिया उनके साथ थीं।

मौत से एक दिन पहले का वो भाषण

मौत से एक दिन इंदिरा गांधी को ओडिशा की एक चुनावी सभा को संबोधित करने जाना था जहां उन्हें बोलने के लिए हर बार की तरह एक अच्छा सा भाषण लिखकर तैयार किया गया था। लेकिन उस दिन इंदिरा ने उस लिखे भाषण को खोला तक नहीं और जनता के सामने अपने दिल की बातें कहने लगी। अपने भाषण के दौरान ही में इंदिरा गांधी ने पहली बार अपनी मौत का जिक्र कर दिया, जो हर किसी को हैरान करने वाला था। इंदिरा ने कहा कि- "मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं...जब मैं मरुंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा"। इंदिरा द्वारा कही गई ये लाइन जैसे बिजली की तरह लगी। उनका भाषण में अपनी मौत का जिक्र करना मानो ऐसा लग रहा था कि जैसे वो खुद लोगों को बता रही हैं कि ये उनकी आखिरी मुलाकात है।

मौत से एक दिन पहले पूरी रात थीं बैचेन इंदिरा

बताया जाता है कि 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी के सुरक्षा गार्ड ने उन्हें गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन मौत से एक दिन पहले इंदिरा काफी बेचैन थी।वो उस दिन रात भर सो नहीं पायीं थीं। उस रात जब उनकी बहू सोनिया आधी रात को अपनी दवा लेने के लिए उठीं तो उनकी सासू मां उनके साथ आयी। इंदिरा ने सोनिया से कहा कि परेशान मत होना मैं हूं साथ में। उस रात इंदिरा देर तक जागीं या यूं कहें वो सो नहीं पायीं।

इंदिरा को जब लगी गोली

पूरी रात सो नहीं पाने के बाद मौत की सुबह जब इंदिरा गांधी अपने आवास से नौ बजकर दस मिनट पर बाहर निकलीं। तभी कुछ लोगों के बीच रहकर भी सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह की गोली उनके शरीर के आरपार हो गई। अचानक से गोलियों की आवाज से पूरा माहौल कांप उठा। अफरा-तफरी मच गई और देखते ही देखते इंदिरा को एक के बाद एक कई गोली लगी। कुछ देर के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।



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