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सर्वपितृ अमावस्या पर वापस पितर लोक में जाते समय पितरों ने आपको आशीर्वाद दिया या श्राप, ऐसे समझें

आश्विन मास के पितृ पक्ष में पितृ को आस लगी रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्डदान और तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे।

'आयुः पुत्रान्‌ यशः स्वर्ग कीर्ति पुष्टि बलं यिम्‌।
पशून्‌ सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात्‌ पितृपूजनात्‌।'

यही आशा लेकर वे पितृलोक से पृथ्वी लोक पर आते हैं। अतएव प्रत्येक हिंदू गृहस्थ का धर्म है कि वह पितृपक्ष में अपने पितृ के लिए श्राद्ध एवं तर्पण करें और अपनी श्रद्धानुसार पितृ के निमित्त दान करें।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वैसे तो हर माह आने वाली अमावस्या पितृ की पुण्यतिथि है, लेकिन आश्विन की अमावस्या पितृ के लिए परम फलदायी है। इस अमावस्या को ही पितृविजर्सनी अमावस्या,सर्वपितृ अमावस्या अथवा महालया कहते हैं।

जो व्यक्ति पितृपक्ष के पंद्रह दिनों तक श्राद्ध तर्पण आदि नहीं करते हैं, वह लोग अमावस्या को ही अपने पितृ के निमित्त श्राद्धादि संपन्न करते हैं। पितृ की तिथि याद नहीं हो, उनके निमित्त श्राद्ध तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को किया जाता है।

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अमावस्या के दिन सभी पितृ का विसर्जन होता है। अमावस्या के दिन पितृ अपने पुत्रादि के द्वार पर पिण्डदान और श्राद्धादि की आशा में जाते हैं। यदि वहां उन्हें पिण्डदान या तिलांजलि आदि नहीं मिलती है, तो वे शाप देकर चले जाते हैं। अतः श्राद्ध का परित्याग नहीं करना चाहिए।

पितृपक्ष पितृ के लिए पर्व का समय है। अतः इस पक्ष में श्राद्ध किया जाता है, जिसकी पूर्ति अमावस्या को विसर्जन तर्पण से होती है। पितृ पक्ष के दिनों में लोग अपने पितरों की संतुष्टि के लिए संयमपूर्वक विधि-विधान से पितृ यज्ञ करते है।

लेकिन कार्य की अतिव्यस्तता के कारण यदि कोई श्राद्ध करने से वंचित रह जाता है, तो उसे पितृ विसर्जनी अमावस्या को प्रातः स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र जपते हुए सूर्य को जल चढ़ाने के बाद घर में बने भोजन में से पंचबलि जिसमें सर्वप्रथम गाय के लिए, फिर कुत्ते के लिए, फिर कौए के लिए, फिर देवादि बलि और उसके बाद चीटियों के लिए भोजन का अंश देकर श्रद्धापूर्वक पितरों से सभी प्रकार का मंगल होने की प्रार्थना कर भोजन कर लेने से श्राद्ध कर्मों की पूर्ति का फल अवश्य ही मिलता है। इस दिन शाम के समय सामर्थ्य अनुसार 2, 5 या 16 दीप अवश्य जलाएं।

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पितृ नाराज, तो ये आती हैं समस्याएं : पितरों के नाराज होने से कई तरह की समस्याएं आने लगती हैं. जैसे- खाने में अक्सर बाल निकलना, घर से बदबू या दुर्गंध का आना लेकिन बदबू या दुर्गंध कहां से आ रही है इसकी पहचान न हो पाना, सपने में बार-बार पूर्वजों का आना, परिवार के किसी एक सदस्य का अविवाहित रह जाना, संतान का न होना, परिवार के किसी सदस्य का हमेशा बीमार रहना, परिवार के द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त में समस्या आना आदि पितरों के नाराज होने के लक्षण हैं।

नाराजगी दूर करने के उपाय : पितरों की नाराजगी दूर करने या उनकी संतुष्टि के लिए वेदों और पुराणों में मंत्र, स्तोत्र और सूक्त का वर्णन किया गया है। इन मन्त्रों, स्तोत्रों और सूक्तों का रोज पाठ करने से पितरों की नाराजगी या पितृ बाधा शांत हो जाती है। अगर पाठ रोज न किया जा सके तो कम से कम पितृ पक्ष में पाठ तो जरूर करना चाहिए।

पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन पितरों के लिए बना भोजन और चावल का बूरा, घी और रोटी गाय को खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है।
अमावस्या के दिन किसी मंदिर में या किसी ब्राह्मण को अपने पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफ़ेद वस्त्र और दक्षिणा आदि दान करने से भी लाभ होता है।

ऐेसे समझें संकेत...
: पितृ आपसे खुश हैं या नहीं इसका संकेत अधिकांशत: वे आपको सपने में देते हैं ।

पितृ यदि खुश हैं, तो ऐसे समझें...
: व्यक्ति धन, समस्त सुख आदि की प्राप्ति कर मोक्ष को प्राप्त होता है।

ऐसे समझें पितरों के इशारे : आपसे खुश हैं या नाराज...
: सर्वपितृ अमावस्या के कुछ दिनों बाद अगर आपको रुका हुआ धन मिलने लगे, तो समझ लीजिए कि आपके पितर आपसे प्रसन्न होकर गए हैं। इसके अलावा आगामी चंद माह करीब 6 माह में कहीं से अचानक धन प्राप्त हो जाए तो ये भी पितर के प्रसन्न होने के संकेत है।

: अगर सर्वपितृ अमावस्या के चंद दिनों के अंदर कोई रुका हुआ काम पूरा होने लगे, तो ये भी पितरों के प्रसन्न होने के संकेत हैं।

: अगर कोई भी काम पूरा ना हो रहा है और पितरों के याद करने मात्र से ही सफल हो जाए तो समझ लीजिये कि आपके ऊपर पितरों की कृपा है।

: सर्वपितृ अमावस्या के बाद अगर सपने में पितर खुश दिखाई दें या याद आ रहे हैं, तो ये भी पितरों के खुश होने के संकेत है।

: सर्वपितृ अमावस्या के बाद अगर सपने में आपको सांप दिखाई दे और उसे देखकर आप प्रसन्न हो रहे हैं तो ये संकेत बताते हैं कि आपके पितर आपसे प्रसन्न हैं।

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: सर्वपितृ अमावस्या के आगामी दिनों में यदि आपका कोई होता हुआ काम अटक जाए, तो इसका अर्थ ये माना जाता है कि पितर आपसे खुश नहीं हैं।

: सर्वपितृ अमावस्या के आगामी दिनों में यदि आपका धन कहीं फंस जाए तो ये भी पितरों की नाराजगी को दर्शाता है।

: वहीं यदि सपने में पितर नाराज दिखें तो ये उनकी नाराजगी को प्रदर्शित करता है।

: यदि सपने में आए पितर किसी चीज को देखकर मचलते हुए दिखें, तो इसका मतलब ये है कि वे उस चीज को पाना चाहते हैं ऐसी स्थिति में उन्हें ये चीज जल्द अर्पित कर दें। वहीं कई सपने में ही कुछ मांग लेते हैं, या इशारों में अपनी इच्छा बता देते हैं। जैसे कई बार ये घटनाएं भी सामने आती हैं जब एक पितर ने सपने में आकर कहा कि मेरी धोती मैली हो गई है। वहीं इसके बाद तुरंत धोती उन्हें अर्पित करते हुए दान कर दिए जाने पर वे प्रसन्न हो गए।

- इसमें भी यदि सपने में पितर अर्धनग्न दिखें तो यह उनकी सर्वाधिक नाराजगी को प्रदर्शित करता है।


सर्वपितृ अमावस्या का महत्व...
हिन्दू पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति अपने पितरों का श्रद्धा भाव से श्राद्ध या तर्पण करता है उसे पितृ अपनी संतानों के प्रति कल्याण की कामना और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पौराणिक तथ्यों की जिनके अनुसार आत्मा का धरती से लेकर परमात्मा तक पहुंचने का सफर वर्णित हैं। लेकिन धरती पर रहकर पूर्वजों को खुश कैसे किए जाए? इसका आसान सा जबाव यही है कि जब आपके वरिष्ठ परिजन धरती पर जिंदा हैं। उन्हें सम्मान दें, उनको किसी तरह से दुःखी न करें। क्योंकि माता-पिता, दादा-दादी, जब तक जिंदा हैं और खुश हैं तो मरने के बाद भी वह आपसे खुश ही रहेंगे।

वहीं पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन धरती पर आए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। माना जाता है कि पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद न किया गया हो तो भी अमावस्या को उन्हें याद करके दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है, इस दिन सभी पितर अपने परिजनों के घर के द्वार पर बैठे रहते हैं। जो व्यक्ति इन्हें अन्न जल प्रदान करता है उससे प्रसन्न होकर पितर खुशी-खुशी आशीर्वाद देकर अपने लोक लौट जाते हैं।



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