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कोरोना वायरस की वजह मई से अगस्त के बीच 60 लाख प्रोफेशनल्स की नौकरी गई

नई दिल्ली। कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण देश में मई से लेकर अगस्त महीने तक के बीच में 60 प्रोफेशनल्स को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। यह जानकारी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार देश में 2016 के बाद से देश में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। आने वाले दिनों में इसकी संख्या में भी और भी गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर श्रमिकों की नौकरियों पर भी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सीएमआईई की ओर से अपनी रिपोर्ट में और क्या कहा है।

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60 लाख प्रोफेशनल्स हुए कम
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से लेकर अप्रैल तक देश में 1.81 करोड़ प्रोफेशनल्स नौकरी पर थे। वहीं उनकी संख्या मई से अगस्त तक 1.20 करोड़ रह गई। इस दौरान करीब 60 लाख प्रोफेशनल्स बेरोजगार हो गए। साल दर साल के हिसाब से देखें तो मई 2019 से अगस्त 2019 के बीच देश में 1.88 करोड़ जबकि इस दौरान 1.20 प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं। यानी 68 लाख लोगों की नौकरी इस दौरान गई है। सीएमआईई के अनुसार इस बार प्रोफ़ेशनल्स की नौकरी पर सबसे ज़्यादा मार पड़ी है। इनमें सॉफ़्टवेयर इंजीनियर्स, एकाउंटेट्स, एनालिस्ट भी शामिल हैं। ये लोग प्राइवेट और सरकारी संस्थानों में काम कर रहे थे। सीएमआईई रिपोर्ट के अनुसार इस डाटा में वे लोग शामिल नहीं हैं जो स्वरोजगार करते हैं।

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2016 के बाद सबसे कम
सीएमआईई रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के बाद से प्रोफेशनल्स की संख्या की यह दर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। 2016 में समान अवधि के दौरान 1.25 करोड़ प्रोफेशनल्स काम कर रहे थे। जिसके बाद लगातार इनकी संख्या में धीरे-धीरे इजाफा देखने को मिल रहा था। अगस्त 2019 तक यह आंकड़ां 1.88 कोड़ तक पहुंच गया। दिसंबर 2019 तक आने इसमें मामूली गिरावट देखने को मिली और नौकरी में मौजूद प्रोफेशनल्स की संख्या 1.87 करोड़ रह गई। उसके बाद जनवरी 2020 से अप्रैल 2020 तक कोरोना वायरस की वजह से प्रोफेशनल्स की संख्या 1.81 करोड़ रह गई।

यह भी जारी किया आंकड़ा
- सीएमआईई के अनुसार मई से अगस्त के दौरान ही 50 लाख औद्योगिक श्रमिक बेरोजगार हुए।
- औद्योगिक श्रमिकों की संख्या में 26 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
- सीएमआई के अनुसार एमएसएमई की हालात ठीक नहीं हैं।
- सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया था।
- 2 लाख एमएसएमई यूनिट को फायदा होने का किया था दावा।
- रिपोर्ट के अनुसार छह महीने बाद भी सुधार होता नहीं दिख रहा है।
- देश के एक्सपोर्ट में 48 फीसदी योगदान एमएसएमई का है।
- देश में मौजूदा समय में 6 करोड़ एमएसएमई काम कर रही हैं।



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