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फूलगोभी 150 रुपए और 90 रुपए पर पहुंचे टमाटर के दाम, शिमला मिर्च और परवल की कीमत 100 रुपए पहुंची

नई दिल्ली। बीते महीने अगस्त के दौरान देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर में थोड़ी नरमी रही, लेकिन सब्जियों की महंगाई दर में इजाफा रहा। जानकारों की मानें तो सब्जियों की महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार भी नहीं हैं। हरी-साग सब्जियों की नई फसल की आवक शुरू होने में कम से कम एक महीना लगेगा और नई फसल की आवक जोर पकडऩे पर ही सब्जियों की कीमतों में नरमी आएगी। बीते महीने अगस्त में खुदरा महंगाई दर 6.69 फीसदी दर्ज की गई, जबकि जुलाई में 6.73 फीसदी दर्ज की गई थी। वहीं, सब्जियों की महंगाई दर अगस्त में 11.41 फीसदी दर्ज की गई, जबकि जुलाई में यह 11.29 फीसदी थी।

टमाटर, आलू और प्याज की कीमत में तेजी
हरी सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का सिलसिला जून से ही शुरू हो गया था, लेकिन जुलाई और अगस्त में कीमतें आसमान छू गईं। टमाटर का थोक भाव जो दिल्ली की मंडियों में मई और जून में दो रुपए प्रति किलो से भी कम हो गया था, वहां अब थोक भाव 50 रुपए प्रति किलो तक चला गया है। खुदरा टमाटर इस समय 90 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। टमाटर समेत तमाम हरी-सब्जियों के साथ आलू और प्याज की कीमतों में भी अप्रत्याशित इजाफा हुआ है, क्योंकि आलू और प्याज के उत्पादन में बीते फसल वर्ष के दौरान वृद्धि हुई थी। प्याज की घरेलू उपल्ब्धता बढ़ाकर कीमतों में वृद्धि पर नियंत्रण के मद्देनजर भारत सरकार ने सोमवार को प्याज के सभी वेरायटी के निर्यात पर रोक लगा दी है। आलू का खुदरा भाव भी बीते दो महीने में करीब दोगुना बढ़ गया है, जिससे आम उपभोक्ताओं के लिए सब्जी खाना मुहाल हो गया है।

हरी सब्जियों की कीमत आसमान पर
वहीं दूसरी ओर हरी सब्जियों की करें तो उनकी कीमत भी आसमान पर पहुंच गई हैं। शिमला मिर्च के खुदरा दाम 100 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। जबकि 100 रुपए प्रति किलो ही परवल बिक रहा है। सबसे ज्यादा तेजी तो फूलगोभी की कीमत में देखने को मिल रही है, जिसकी खुदरा कीमत 120 रुपए से लेकर 150 रुपए प्रति किलो बिक रही है। घिया, भिंडी और करेला 60 रुपए प्रति किलो पर हैं। वहीं तोरई 50 रुपए प्रति किलो के पार बिक रही है। हरी सब्जियों में पालक और लोबिया 80 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है।

अभी एक और महीना रह सकती है महंगाई
चैंबर्स ऑफ आजादपुर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एमआर कृपलानी ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि बरसात में फसल खराब हो जाने से सब्जियों की कीमतें उंची चल रही हैं और नई फसल की आवक 15 अक्टूबर के बाद ही शुरू होगी, इसलिए फिलहाल सब्जियों की कीमतों में गिरावट आने की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि फलों के दाम में बीते दिनों गिरावट दर्ज की गई है और आवक बढऩे से थोड़ी और नरमी आ सकती है,लेकिन त्योहारी सीजन में मांग तेज रहने से कीमतों में अब ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। कृपलानी ने कहा कि प्याज के निर्यात पर रोक लगने से कीमतों में स्थिरता रह सकती है।

आयात पर भी विचार करे सरकार
आजादपुर मंडी पोटैटो ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन यानी पोमा के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने भी कहा कि निर्यात प्रतिबंध से प्याज के दाम में वृद्धि पर विराम लगेगा। शर्मा ने कहा कि दक्षिण भारत में प्याज की फसल खराब होने से आपूर्ति में कमी का संकट बना हुआ है, इसलिए सरकार को निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ आयात करने पर भी विचार करना चाहिए।

कम नहीं हुआ उत्पादन
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू का उत्पादन 513 लाख टन हुआ, जबकि एक साल पहले 2018-19 में देश में आलू का उत्पादन 501.90 लाख टन हुआ था। देश में बीते फसल वर्ष 2019-20 में प्याज का उत्पादन 267.4 लाख टन हुआ था, जबकि इससे पहले 2018-19 में 228.2 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था।

दिल्ली-एनसीआर में सब्जियों के खुदरा दाम

सब्जियां सब्जियों की की कीमत ( रुपए प्रति किलो में )
आलू 40-50
फूलगोभी 150
बंदगोभी 60
टमाटर 60-90
प्याज 40-50
लौकी/घीया 60
भिंडी 60
खीरा 60
कद्दू 50
बैंगन 60
शिमला मिर्च 100
पालक 80
कच्चा पपीता 50
कच्चा केला 60
तोरई 50
करेला 60
परवल 80-100
लोबिया 80


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