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Chandrayaad 2: चंद्रयान-2 को लेकर एक साल बाद आई बड़ी खबर, जानें ISRO ने क्या बताया

नई दिल्ली। चंद्रयान - 2 ( Chandrayaan 2 )को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है। दर्सल चांद की कक्षा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ( ISRO ) के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ने अपना एक वर्ष पूरा कर लिया है। चंद्रयान की बड़ी कामयाबी को लेकर इसरो की ओर से बयान जारी किया गया है। इसरो ने चंद्रयान मिशन ( Mission Chandrayaan ) से जुड़ा शुरुआती डाटा सेट जारी करते हुए बताया है कि भले ही विक्रम लैंडर ( Vikram Lander ) सॉफ्ट लैंडिंग ( Soft Landing )में असफल रहा, लेकिन ऑर्बिटर ( Orbiter ) ने चंद्रमा ( Moon )के चारों ओर 4400 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं।

यही नहीं इसरो ने एक और बड़ी जानकारी साझा करते हुए बताया कि चंद्रयान-2 के आठ ऑन-बोर्ड उपकरण अब भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

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चंद्रयान-2 ( Chandrayaan ) का प्रक्षेपण 22 जुलाई 2019 को किया गया था और एक साल पहले 20 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। अब इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 मिशन को लेकर अहम जानकारी शेयर की है।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा कि भारत के दूसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में चारों ओर परिक्रमा करते हुए एक वर्ष पूरा कर लिया है।

इसरो के मुताबिक ऑर्बिटर में उच्च तकनीक वाले कैमरे लगे हैं, इन कैमरों की मदद से चांद के बाहरी वातावरण और उसकी सतह के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इसरो ने एक बयान में कहा कि अंतरिक्षयान बिल्कुल ठीक था और इसकी उप प्रणालियों का प्रदर्शन सामान्य है।

7 वर्षों का ईंधन बाकी
ISRO ने कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को चांद की ध्रुवीय कक्षा के 100 +/- 25 किलोमीटर के दायरे में रखा गया है। चंद्रयान-2 को लेकर एक और बड़ी जानकारी मिली है। इसरो ने कहा है कि सात और वर्षों के संचालन के लिए चंद्रयान-2 के पास पर्याप्त ईंधन है।

इससे ये फायदा होगा कि चांद के बार में जानन के लिए दुनियाभर में लगी रेस में भारत भी बना रहेगा। क्योंकि चंद्रयान-2 में हाई रिज्योल्यूशन कैमरे लगे हैं। इनसे लगातार अहम तस्वीरें भी सामने आ रही हैं।

98 फीसदी सफल रहा था मिशन चंद्रयान
आपको बता दें कि चंद्रयान-2 मिशन 98 फीसदी सफल रहा था। इसरो चीफ के सिवन ने कहा था कि हमने मिशन को दो हिस्सों में विकसित किया था। वैज्ञानिक उद्देश्य में पूरी सफलता मिली जबकि भौतिक उद्देश्य में हम बहुत कम चूके। ऐसे में इस मिशन को 98 फीसदी सफल माना जा सकता है।



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