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सूर्य नारायण के पूजन से दूर होते हैं कई तरह के ग्रह दोष, जानिये कब कौन सा मंत्र पढ़ें

हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य को कलयुग का एकमात्र दृश्य देव माना जाता है। वही सूर्यनारायण/सूर्यदेव हिंदू धर्म के आदि पंच देवों में भी शामिल हैं। भगवान श्री राम के कुल देवता व राम भक्त हनुमान के गुरु सूर्यनारायण को ज्योतिष में ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। वहीं सप्ताह में इनका दिन रविवार माना गया है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पौराणिक धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक रविवार के दिन सूर्य देव की आराधना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। सूर्य देव को वेदों के अनुसार संसार की आत्मा कहा गया है। रविवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व माना गया है। इसके साथ ही सूर्य को संसार की उत्पत्ति का एकमात्र स्त्रोत माना गया है। वर्तमान में विज्ञान भी मानता है कि सूर्य की अनुपस्थिति में पृथ्वी पर जीवन असंभव है।

पंडित शर्मा के अनुसार सूर्य सर्व कल्याणकारी हैं, उनकी महिमा से गंभीर रोगों का निवारण हो जाता है। ऋग्वेद के अनुसार देवताओं में सूर्य का स्थान महत्वपूर्ण बताया गया है। सूर्य समस्त चराचर जगत की अंतरात्मा है। उनकी उपासना का प्रचलन वैदिक काल से चला आ रहा है। सूर्य की आराधना से व्यक्ति का भाग्योदय होता है एवं उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

रविवार का दिन सूर्य की उपासना को समर्पित है। इस दिन सूर्यनारायण का पूजन व पाठ करने से ग्रहों के दोष का निवारण होता है। रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन उपवास रखने से सूर्य देव भक्त की इच्छाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। इनकी आराधना से अन्य ग्रहों के दुष्प्रभाव कम हो जाते तथा व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है।

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उन्हें प्रत्यक्ष देव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उनकी आराधना के लिए कोई भी उनके साक्षात रूप से दर्शन कर सकता है। माना जाता है की सूर्य के बिना जिस प्रकार यह संसार अधूरा है ठीक उसी प्रकार सूर्यदेव के आशीर्वाद के बिना एक मनुष्य का जीवन सुख - सुविधाओं से परिपूर्ण होने के बाद भी अधूरा माना है। सूर्य की उपासना बहुत ही सरलता से पूर्ण हो जाती है और इनका आशीर्वाद भी भरपूर प्राप्त होता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रविवार के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्ण विधि - विधान से सूर्य पूजा करके संकल्प करना चाहिए। सूर्य देव का साक्षात नमन करके जल से उन्हें अर्घ अर्पण करना चाहिए। मन की जो कोई भी इच्छा है वह सूर्य देव के समक्ष व्यक्त करनी चाहिए और पूर्ण श्रद्धा से उनका ध्यान करना चाहिए। सूर्य देव समस्त विपदाओं का निवारण करेंगे एवं सभी को सुखमय जीवन प्रदान करेंगे।

सूर्यदेव के प्रमुख मंत्र और इनके उपयोग की विधि...

सप्ताह के दिनों में रविवार को सूर्यदेव का दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन के कारक देव स्वयं सूर्य नारायण माने जाते हैं। ऐसे में पंडित शर्मा के अनुसार हर रविवार को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। यह अनुभूत प्रयोग है।

रविवार के दिन किसी भी एक मंत्र को जो भी मंत्र आसानी से याद हो सकें उसके द्वारा सूर्य देव का पूजा-अर्चना करनी चाहिए। फिर अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे।

1. ऊं घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।।

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

वहीं सूर्य नमस्कार के दौरान मंत्रों का मन ही मन जाप के संबंध में माना जाता है कि यह आपको प्रसन्नता व मन को शांति प्रदान करते हैं...
सूर्य नमस्कार के मंत्र:

- ॐ सूर्याय नम: ।
- ॐ भास्कराय नम:।
- ऊं रवये नम: ।
- ऊं मित्राय नम: ।
- ॐ भानवे नम:
- ॐ खगय नम: ।
- ॐ पुष्णे नम: ।
- ॐ मारिचाये नम: ।
- ॐ आदित्याय नम: ।
- ॐ सावित्रे नम: ।
- ॐ आर्काय नम: ।
- ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।



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