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सुप्रीम कोर्ट का इस मसले पर आज आ सकता है अहम फैसला, सजा या माफी पर फंसा है पेंच

नई दिल्ली। देश के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ( Senior Advocate Prashant Bhushan ) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) आज अवमानना मामले में अपना फैसला सुनाएगा। न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो ट्वीट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में माफी मांगने से पहले ही इनकार कर चुके प्रशांत भूषण को कोर्ट ने 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि अपने रुख पर फिर विचार कर लें।

इसके बाद भी भूषण का विचार नहीं बदला तो कोर्ट ने यहां तक पूछा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है?

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प्रशांत को हो सकती है 6 महीने कैद की सजा

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ( Justice Arun Mishra ) की अध्यक्षता वाली पीठ भूषण के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगी। अदालत की अवमानना ( Contempt of Court ) अधिनियम के तहत सजा के तौर पर भूषण को 6 महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती हैं। प्रशांत भूषण के पास अपने ट्वीट को लेकर कोर्ट के सामने माफी मांगने का अवसर था लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया।

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भूषण को शहीद न बनाया जाए : राजीव धवन

प्रशांत भूषण द्वारा न्यायालय की तरफ से माफी मांगने के सुझाव को खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कोर्ट की ओर से 'स्टेट्समैन' जैसा संदेश दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं। तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले और कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए।

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भूषण को माफ कर दे सुप्रीम कोर्ट : वेणुगोपाल

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह भूषण को इस संदेश के साथ माफ कर दे कि उन्हें भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत के दो ट्विट में न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराया था। प्रशांत भूषण ने 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर तो दूसरी टिप्पणी 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर की थी।



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