ग्रहों की चाल ने खोले ये रहस्य और देखते ही देखते इन संकेतों ने उड़ा दी सबकी नींद

कोरोना की शुरुआत और उसके संक्रमण के फैलने के बाद एक बार फिर ग्रहों की ओर से कुछ खतरनाक संकेत दिए जा रहे हैं। जिसके चलते इस समय ज्योतिष के जानकारों में इन संकेतों को लेकर कई तरह की बातें कहीं जा रही हैं। एक ओर जहां लगभग सभी जानकारों का मानना है कि ग्रहों की चाल अगस्त-सितंबर 2020 में सीमा पर तनाव को बढ़ाती दिख रही है। वहीं ग्रह आज से एक वर्ष के अंदर वित्तीय बाजार में गिरावट और सरकार के कुछ कड़े कदमों की ओर भी संकेत दे रहे हैं। जबकि 2021 में सामाजिक बदलावों से देश में उथल-पुथल की संभावना दिख रही है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार अगस्त-सितंबर 2020 में चीन-भारत की सीमाओं पर पाकिस्तान की मिलीभगत से सैन्य ताकत दिखा सकता है। वहीं वर्ष कुंडली में धन स्थान पर बैठे वक्री शनि पर सूर्य और बुध की दृष्टि अर्थव्यस्था में मंदी जारी रहने तथा सरकार के द्वारा बाजार में हस्तक्षेप का संकेत है। पं. शर्मा के मुताबिक जिस प्रकार व्यक्ति विशेष की वर्ष कुंडली से उसके आने वाले एक वर्ष का फलित करते हैं, ठीक उसी तरह किसी राष्ट्र की वर्ष कुंडली बनाकर मेदिनी ज्योतिष के नियमों के अनुसार उस राष्ट्र के एक वर्ष का भविष्य कथन किया जाता है।
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पंडित शर्मा के अनुसार दरअसल 15 अगस्त को भारत की आजादी के 73 वर्ष पूर्ण हुए हैं, लेकिन वर्ष कुंडली के नियम अनुसार गोचर में सूर्य भारत की आजादी की कुंडली के सूर्य के सामान राशि-अंश-कला पर 14 अगस्त को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर पहुंच गए। ऐसे में वर्ष कुंडली में धनु लग्न का उदय हो गया है, जो कि आजाद भारत की वृषभ लग्न की कुंडली का अष्टम भाव है। जो किसी युद्ध और बड़े नेताओं के साथ अनहोनी घटना होने का संकेत दे रहा है।
इसलिए निर्मित हो रहा युद्ध योग...
वहीं धनु लग्न की वर्ष कुंडली में मुंथा (मुंथा कोई ग्रह नहीं है लेकिन यह नवग्रहों के समान ही महत्व रखती है-मुथा की गणना को वर्ष कुण्डली में करके जातक के जीवन में घटने वाली घटनाओं को बताया जा सकता है, मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है) युद्ध के सप्तम भाव में राहु और छठे घर के स्वामी शुक्र से युत होकर एक भयानक योग बना रही है। मुंथा पर पड़ रही युद्ध के कारक ग्रह और देव सेनापति मंगल की दृष्टि अशुभ है ।
मुंथेश बुध विनाश स्थान यानी अष्टम भाव में होकर पाप ग्रह शनि से दृष्ट है। इन सब योगों के साथ आजाद भारत की कुंडली में चल रही गुरु में शनि की योगिनी दशा देश के लिए युद्ध के योग निर्मित कर रही है ।
बड़े बदलाव...
इसके अलावा सूर्य और बुध पर शनि की दृष्टि वित्तीय बाजार में गिरावट तथा सोने में तेजी जारी रहने का संकेत हैं। जबकि अगले यानि एक वर्ष के भीतर विवाह, संपति, उत्तराधिकार, दत्तकपुत्र आदि पर्सनल लॉ में बड़े बदलाव लाकर सरकार जनता के कुछ समूहों के बड़े विरोध का सामना कर सकती है। वर्ष कुंडली के सप्तम भाव में राहु, शुक्र और मुंथा का होना विवाह संबंधी बड़े कानूनों में बदलाव का संकेत हैं, जो की सरकार का कॉमन सिविल कोड की ओर कदम बढ़ने का इशारा है, जिसके लिए उनको समाज के एक बड़े वर्ग का प्रतिरोध झेलना पड़ सकता है, और किसी बड़े नेता के हताहत होने का भी संकेत प्रदान करता है ।
आजाद भारत की कुंडली में चल रही चंद्र-शनि की कठिन दशा अगले वर्ष जून तक इन बड़े सामाजिक बदलावों से देश में उथल-पुथल मचा सकती है । ऐसे में वर्तमान सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा। कहीं-कहीं आंदोलन, संघर्ष, दुर्घटना या भूकम्प जैसी स्थिति भी आ सकती है। इस समय नई-नई टेक्नोलॉजी में भारत आगे बढ़ेगा।
वर्ष कुंडली का अध्ययन करने पर संकेत मिलते हैं कि भारत के लिए वर्ष 2020 बाहरी देशों से संबंधों के मामले में भले ही अच्छा सिद्ध हो लेकिन, आंतरिक मोर्चे पर भारत में अराजकता, अंतर्विरोध बढ़ने की स्थितियां बनेंगी।
इस दौरान सत्ताधीशों और जनता के बीच भयंकर मतभेद उभरने की संभावना हैं। प्रजा में अराजकता फैलेगी, सरकार के निर्णयों का भारी मात्रा में विरोध होगा। सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, रैलियां होंगी, लेकिन अंतत: कोई ऐसी बड़ी घटना घटित होगी, जिसके कारण समस्त देशवासी को तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद एकसूत्र में बंध जाएंगे।
कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा
वहीं शनि को राज्यपक्ष का कारक ग्रह भी माना जाता है। शनि के राशि परिवर्तन से देश में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलेंगे। ऐसे में इस समय सत्तापक्ष के साथ कई नए दल आ सकते हैं, वहीं कुछ दल सत्तापक्ष की पार्टी से अलग भी हो सकते हैं। इस समय राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते सत्ताधीशों को अपनों से ही विरोध का सामना करना पड़ सकता है । विपक्षी दलों का मजबूत गठबंधन सरकार के निर्णयों के खिलाफ आवाज बुलंद करेगा। वहीं सितंबर से दिसंबर के बीच भारत में कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आ सकती है। भीषण बाढ़, भूकंप, सुनामी जैसी हालत दक्षिणी राज्यों में हो सकती है। भीषण बर्फबारी, हिमस्खलन, भूस्खलन जैसी स्थिति बनेगी ।
पिछले एक वर्ष में धारा 370 निरस्त करने तथा राम मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ कर भाजपा सरकार ने अपने घोषणापत्र के तीन पुराने संकल्पों में से दो को पूर्ण कर दिया है। अब भारत की आजादी की वर्ष कुंडली के सप्तम भाव में राहु और शुक्र की युति विवाह संबंधी कानूनों जैसे मुस्लिम बहुविवाह प्रथा, निकाह-हलाला, मुस्लिम महिलाओं के तलाक के बाद गुजारा भत्ता संबंधी कानून जो की मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत हैं, उनमें बड़े संशोधन होने का संकेत हैं।
ऐसे समझें आजाद भारत की जन्मकुंडली...
भारत की जन्मकुंडली में मध्यरात्रि अभिजित मुहुर्त में वृषभ लग्न का चयन किया गया। वृषभ लग्न अपने आप में बहुत सक्षम लग्न है जो अंतोत्गत्वा शुभ फल ही प्रदान करता है और भारत का विश्ववगुरु बनना भी तय है। 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि 12.00 बजे दिल्ली को आधार बनाते हुए भारत की जन्मकुंडली के अनुसार स्वतंत्र भारत का उदय स्थिर लग्न वृषभ में हुआ है और लग्न में राहु विराजमान हैं।
द्वितीय स्थान में मंगल और तृतीय पराक्रम भाव में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र, शनि के एक साथ होने से पंचग्राही योग बना हुआ है। छठे स्थान में बृहस्पति और सप्तम में केतु है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 365 दशमलव 25 दिन यानि 365 दिन से कुछ घंटे अधिक के समय में पूरा करती है, जिसे ज्योतिष में एक नक्षत्र वर्ष कहा जाता है।
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