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रूस ने 6 दशक बाद दिखाया दुनिया के सबसे ताकतवर Nuclear Explosion का Video, हिरोशिमा से 3333 गुना विनाशक

नई दिल्ली। कभी-कभी बहुत बड़ा करने के चक्कर में हम कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो हमारे लिए ही घातक साबित हो सकता है। रूस ने कुछ ऐसा ही करीब 59 वर्ष पहले किया था। दरअसल रूस ( Russia ) ने 30 अक्टूबर 1961 में दुनिया के सबसे शक्तिशाली परमाणु बम ( Nuclear Bomb ) का परीक्षण किया था। करीब 6 दशक बाद रूस ने इस परीक्षण का वीडियो ( Video )जारी किया है। इस विनाशकारी परमाणु की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये हिरोशिमा ( Hiroshima ) पर गिराए गए परमाणु बस से 3333 गुना ज्यादा ताकतवर है।

इस बम को किंग्स ऑफ बॉम्बस ( Kings of Bombs ) यानी बमों का राजा कहा जाता है। ये एक हाइड्रोजन बम था, जिसे त्सार बम ( Tsar Bomb ) नाम दिया गया।

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रूस ने सबसे बड़े परमाणु बम विस्‍फोट ( Tsar Bomba Nuke Test) का वीडियो के जरिए अब तक सीक्रेट रही बम विस्फोट की पूरी जानकारी साझा की है। दरअसल रूस ने कोल्‍ड वॉर के दौरान Tsar Bomba का 30 अक्‍टूबर 1961 को बैरंट सागर में परीक्षण किया था। इसकी ताकत को देखते हुए इसे धरती के खात्‍मे का हथियार भी कहा जाता है।

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इस बम से जुड़ी अहम जानकारियां
- रोस्‍तम के 75 वर्ष पूरे होने पर उसे जारी किया है
- 50 मेगाटन का था ये बम
- 5 करोड़ टन परंपरागत विस्फोटकों के बराबर क्षमता
- 100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का वीडियो बनाया
- 213,000 फुट की ऊंचाई तक गया था ये विस्फोट
- इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्‍या के ऊपर बर्फ में गिराया था
- izdeliye 202 प्रोग्राम के तहत इस महाविनाशक बम को बनाया गया था
- पश्चिमी दुनिया को पता चलने के बाद इसका नाम 'Tsar Bomba' कर दिया गया
- परीक्षण के दौरान इस परमाणु बम के खौफ के चलते कैमरों को सैकड़ों मील दूरी पर लगाया गया
- परीक्षण के दौरान कैमरों को लो लाइट पोजिशन में रखा गया

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20 अगस्‍त को रूस के रोस्‍तम स्‍टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने अपने यू्ट्यूब चैनल पर 30 मिनट की डॉक्‍यूमेंट्री जारी की है। इस विस्फोट के दौरान कैमरों को लो लाइट पोजिशन में इसलिए रखा गया क्योंकि वे परमाणु विस्‍फोट की चमक में 'अंधे' न हो जाएं। इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड तक आग के गोले का वीडियो बनाया और उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गया।

इस बम को उस वक्त बनाया गया था जब अमरीका और सोवियत संघ के बीच कोल्‍ड वॉर अपने चरम पर था। सोवियत संघ ने अमरीका के थर्मोन्‍यूक्लियर डिवाइस को मात देने के लिए इस 'इवान' नामक परमाणु बम का निर्माण किया था। इसका निर्माण महज 7 साल में किया गया था।

ऐसे किया गया परीक्षण
इस परमाणु बम को पहले ट्रेन के जरिए ओलेन्‍या एयरबेस ले जाया गया जहां से उसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम Tu-95 पर लादा गया।

30 अक्‍टूबर को इस बॉम्‍बर ने उड़ान भरी और करीब 600 मील की यात्रा करके सेवेर्नी द्वीप पहुंचा। यह द्वीप आर्कटिक के काफी अंदर है। बॉम्‍बर ने बम को गिरा दिया जिसमें एक पैराशूट लगा हुआ था।

इससे बम धीरे-धीरे धरती पर गिरा और विमान को इतना समय मिल गया कि वह विस्‍फोट की जद में नहीं आ सका। जब यह बम जमीन से करीब 13 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गया तब उसमें विस्‍फोट कर दिया गया।



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