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देश का इकलौता शिव मंदिर! जहां बिना गणराज के विराजित हैं भोलेनाथ

मंदिरों से जुड़ी कई कथाओं और चमत्कारों के बारे में देखा व सुना होगा। वहीं आपने जो भी शिवमंदिर देखें होंगे, उन सभी में शिवलिंग या शिव प्रतिमा के आसपास हमेशा ही नंदी को भी देखा होगा। कारण : नंदी को भगवान शिव का गण के साथ ही वाहन भी माना जाता है और इन्हें ही गणराज भी कहा जाता हैं।

लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना या देखा है क‍ि क‍िसी श‍िव मंदिर में भोले बाबा हों लेक‍िन नंदी बाबा की प्रत‍िमा न हो। नहीं ना, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर की बात करने जा रहे हैं, जहां शंकर तो हैं लेकिन उनके प्रिय वाहन नंदी नहीं हैं।

यह मंदिर नासिक में गोदावरी तट पर बसा हुआ है। जिसे कपालेश्वर महादेव मंदिर नाम से जाना जाता है। पुराणों में बताया गया है क‍ि भगवान शिवजी ने यहां निवास किया था। कहा जाता है क‍ि यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिवजी के सामने नंदी बाबा नहीं है।

यही इस मंद‍िर की विशेषता है। तो आइए सावन सोमवार के मौके पर जानते हैं कि आख‍िर क्‍यों यहां श‍िवजी अपने प्र‍िय नंदी के बिना ही व‍िराजते हैं। आइये जानें श‍िवजी के इस अनूठे मंदिर का रहस्‍य...

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एक पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्म देव के पांच मुख थे। चार मुख तो भगवान की अर्चना करते थे। लेकिन उनका एक मुख हमेशा ही बुराई करता रहता था। एक द‍िन भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मदेव के उस मुख को शरीर से अलग कर दिया।

इससे भगवान शिव को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के ल‍िए भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड में घूमे, लेकिन उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय नहीं मिला। इसी दौरान वह घूमते-घूमते सोमेश्वर पहुंच गए।

कथा के अनुसार भोलेशंकर जब सोमेश्‍वर पहुंचे, तब वहां एक बछड़े ने भगवान शिव को ब्रह्महत्‍या के पाप से मुक्ति का उपाय बताया। इसके अलावा वह भोलेनाथ को लेकर उस स्‍थान पर गया जहां पर उन्‍हें इस ब्रह्महत्‍या के पाप से मुक्ति म‍िलनी थी।

यह स्‍थान गोदावरी का रामकुंड था। जहां उस बछड़े ने भोलेनाथ को स्नान करने को कहा। मान्‍यता है क‍ि वहां स्नान करते ही भगवान शिव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सके। उन्‍हें इस पाप से मुक्‍त कराने का मार्ग बताने वाले बछड़े के रूप में वह कोई और नहीं बल्कि नंदी बाबा ही थे।

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नंदी की वजह से भगवान शिव ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हुए थे। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपना गुरु मान ल‍िया। चूंकि अब नंदी महादेव के गुरु बन गए, इसीलिए भगवान शिव ने इस मंदिर में नंदी बाबा को स्वयं के सामने बैठने से मना किया। यही वजह है क‍ि इस मंद‍िर में भोलेनाथ तो हैं लेक‍िन नंदी बाबा नहीं है।

कपालेश्‍वर महादेव मंदिर की सीढ़‍ियां उतरते ही सामने गोदावरी नदी बहती नजर आती है। उसी में प्रसिद्ध रामकुंड है। भगवान राम ने इसी कुंड में अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था। इसके अलावा कपालेश्वर मंदिर के ठीक सामने गोदावरी नदी के पार प्राचीन सुंदर नारायण मंदिर है।

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यहां हर साल हरिहर महोत्सव का आयोजन क‍िया जाता है। इस दौरान कपालेश्वर और सुंदर नारायण दोनों ही भगवानों के मुखौटे गोदावरी नदी पर लाए जाते हैं। इसके बाद दोनों को एक-दूसरे से म‍िलाया जाता है। सावन का महीना हो या महाशिवरात्री यहां भारी भीड़ लगती है।

ऐसे पहुंचे यहां...
रेल मार्ग : मुंबई से नासिक आने के लिए काफी रेल गाडि़यां है। देश के विभिन्न नगरों से भी नासिक आने के लिए गाडि़यां है।

हवाई मार्ग : हवाई मार्ग से आने के लिए मुंबई, पुणे और औरंगाबाद हवाई अड्डे सबसे करीब हैं।

सड़क मार्ग : मुंबई से 160 और पुना से नासिक 210 किलोमीटर है। दोनों जगह से नासिक आने के लिए गाड़ियां मिलना आसान है।



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