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America के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का दावा, भारत के समर्थन पर ट्रंप की कोई गारंटी नहीं

वॉशिंगटन। चीन के साथ सीमा पर तनाव को लेकर भारत को अभी तक अमरीका की तरफ से विशेष सहयोग की उम्मीद जग रही है। मगर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन इस विचार से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर जॉन बोल्टन ने शक जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि यदि चीन-भारत सीमा तनाव बढ़ता है कि तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि राष्ट्रपति ट्रंप चीन के खिलाफ भारत को समर्थन देंगे। अमरीका ने हर मौके पर खुलकर भारत का समर्थन किया है। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कुछ दिन पहले ही भारत के जवाबी कार्रवाई की तारीफ की थी।

अमेरिका चीन संबंधों को ऐसे देखते हैं ट्रंप

बोल्टन ने एक टेलीविजन चैनल पर इंटरव्यू के दौरान कहा कि चीन अपनी सभी सीमाओं पर आक्रामक रवैया अपना रहा है। निश्चित तौर पर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में भी वह आक्रामक है। इसके साथ जापान, भारत और अन्य देशों के साथ उसके संबंध खराब हुए हैं। मगर जब उनसे पूछे गया कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का किस हद तक समर्थन करेगा।इस पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि वे क्या निर्णय लेंगे। उन्हें लगता है कि ट्रंप कोई भी फैसला व्यापरिक सोच के आधार पर लेंगे।

कोई गारंटी नहीं कि ट्रंप भारत का समर्थन करेंगे

बोल्टन ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ट्रंप नवंबर के चुनाव के बाद क्या करेंगे। हो सकता है कि बड़े चीन व्यापार समझौते पर वापस आएंगे। यदि भारत और चीन के बीच चीजें तनावपूर्ण स्थिति बनती हैं तो उन्हें नहीं पता कि वह किसका साथ देंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि यदि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे, बोल्टन ने कहा कि हां यह सही है।

ट्रंप को भारत चीन झड़पों के इतिहास की जानकारी नहीं

बोल्टन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप को भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर पुराने मामलों की कोई जानकारी है। बोल्टन ने कहा कि हो सकता है कि ट्रंप को इस बारे में जानकारी दी गई हो, लेकिन वह इतिहास को लेकर सहज नहीं रहते हैं। बोल्टन ट्रंप प्रशासन में अप्रैल 2018 से सितंबर 2019 तक अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।

भारत-चीन में शांति चाहते हैं ट्रंप

उन्होंने कहा कि इस चुनावी माहौल में ट्रंप को कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे। वह इस समय शांति की कोशिश करेंगे। वह इस समय अपने लाभ के बारे में सोच रहे होंगे। ऐेसी परिस्थितियों चीन को लाभ हो या भारत को उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।



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