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India-China Tension: सरहद पर शहीद हुए Bihar Regiment के जांबाज, 15 दिन पहले पिता बने थे जेसीओ कुंदन ओझा

नई दिल्ली। भारत-चीन ( India-China Tension ) के बीच एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। इस विवाद के कारण लद्दाख सीमा ( Ladakh Border ) के गलवान वैली (Galwan Valley ) में हिंसक झड़प हुई और देश के कई वीर सपूत शहीद हो गए। शहीदों की खबर जैसे ही उनके परजिनों तक पहुंची घर में मामत पसर गया। किसी का परिवार बिखर गया, तो कोई जन्म लेते ही अनाथ हो गया। वहीं, किसी शहीद के परिजनों ने सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है। इस हिंसक झड़प में बिहार रेजिमेंट के जांबाज भी शहीद हुए हैं। शहीद होने वालों में कर्नल बी संतोष बाबू ( colonel Santosh Babu ), JCO कुंदन ओझा ( JCO Kundan Ojha ) और हवलदार सुनील ( Sunil ) शामिल हैं।

एक जून को पिता बने थे कुंदन ओझा

शहीद JCO कुंदन ओझा ( JCO Kundan Ojha ) मूलरूप से झारखंड ( Jharkhand ) के साहिबगंज ( Sahibganj ) के डिहारी गांव के रहने वाले थे। 26 साल के कुंदन ओझा महज पिछले दो हफ्ते से लद्दाख रेंज के गलवान घाटी में तैनात थे। 2011 में उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन की थी और एक जून को पिता बने थे। कुंदन ओझा की पत्नी नेहा ( Kundan Ojha Wife Neha ) ने एक बेटी को जन्म दिया था और दोनों का ये पहला संतान था। कुंदन ओझा ने अपनी बेटी की शक्ल तक नहीं देखी थी। कुंदन ओझा की मां भवानी देवी ( Bhawana Devi ) का कहना है कि दो साल पहले उनकी शादी हुई थी, बेटी का नामकरण तक नहीं हुआ था। भवानी देवी ने कहा कि आखिरी बार एक जून को ही कुंदन से बात हुई थी, उसके बाद से फोन का नेटवर्क नहीं लग रहा था और जब बेटे की खबर आई तो वह शहादत की थी। भवानी देवी ने बताया कि कुंदन की छुट्टी 10 मई से तय थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण वह नहीं आ सके।

हम अंदर से रो रहे हैं- शहीद कुंदन ओझा की मां

भवानी देवी का कहना है कि कुंदन के शहीद होने से हमारे सामने घना अंधेरा है। हमारा सबकुछ बर्बाद हो गया है और हम अंदर से रो रहे हैं। अब मुझे अपने बेटे के शव का इंतजार है। हमारे सामने ऐसी विपत्ति आ गई है कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम क्या करें। भावना देवी का कहना है कि आखिर सरकार अब तक चुप क्यों है? शहीद कुंदन के घर में सन्नाटा पसरा है और पूरे गांव में इस खबर से मातम है। CM हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) ने कुंदन की शहादत पर शोक प्रकट कियाा है और कहा कि झारखंड के इस वीर सपूत पर सबको गर्व है।

India-China Tension: Three Soldiers Martyred From Bihar Regiment

बेहद गौरवपूर्ण है बिहार रेजीमेंट का इतिहास

चीन के साथ हिंसक झड़प में बिहार रेजिमेंट के दो और जवान शहीद हुए हैं। कर्नल संतोष बाबू (c olonel Santosh Babu ) और हवलदार सुनील। कर्नल संतोष बाबू मूलरूप से तेलंगाना ( Telangana ) के सूर्यापेट जिले के रहने वाले थे। 2016 में प्रमोशन पाकर संतोष बाबू 16 बिहार बटालियन के कमांडिंग अधिकारी के पद पर तैनात हुए थे। वहीं, हवलदार सुनील बिहार ( Bihar ) के छपरा ( Chapra ) के रहने वाले ते। उनकी एक पुत्री भी है। सरहद पर बिहार रेजिमेंट का हमेशा परचम लहराया है। चाहे वह 1971 की लड़ाई हो या फिर कारगिर वॉर। बिहार रेजिमेंट अपनी 20 बटालियन, चार राष्ट्रीय राइफल और दो टोरिटोरियल आर्मी बटालियन के साथ भारत माता की रक्षा कर रहा है। बिहार रेजिमेंट को दो महावीर चक्र, तीन अशोक चक्र, 13 कीॢत चक्र, 15 वीर चक्र और 46 शौर्य चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावे इस रेजिमेंट को तीन युद्ध सम्मान एवं तीन थियेटर सम्मान भी मिला है। लेकिन, इस रेजिमेंट ने सोमवार रात अपने तीन जांबाजों को खो दिया है। तीन जवानों के परिवार का दीया बुझ गया और घर से लेकर लोगों के दिलों तक में अंधेरा छा गया है।



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