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China के साथ बैठक को लेकर नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी में पड़ी फूट, टाइमिंग पर उठाए सवाल

काठमांडू। नेपाल और चीन की की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन शुक्रवार को हुआ। इस बैठक में वर्तामान राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर चर्चा हुई। हालांकि बैठक को लेकर नेपाल के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने विरोध जताया है।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में दोनों देशों ने वर्तमान हालात को लेकर खास चर्चा की। इसके साथ ही पार्टी और सरकार चलाने के अपने अनुभवों को साझा किया। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल और उप-प्रधानमंत्री ईशोर पोखरेल सहित कई वरिष्ठ नेताओं इस बैठक में भाग लिया।

एनसीपी के कुछ सूत्रों ने बताया कि बैठक में दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच संबंध,वर्तमान कोरोना वायरस महामारी और मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा हुई है। बैठक में दहल ने तिब्बत और ताइवान के संबंध में 'एक चीन' नीति को लेकर समर्थन करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।

हालांकि स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अचानक हुई इस बैठक को लेकर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने ऐतराज जताया है। एनसीपी अंतर्राष्ट्रीय प्रभाग के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने का कहना है, "हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि इस तरह के सम्मेलन इतनी जल्दी में हो रहा था।" अन्य नेताओं का कहना है कि चीन के साथ बैठक की टाइमिंग सवालों के घेरे में है। उनके मुताबिक अभी एक तरफ कालापानी, लिपुलेख आदि को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव है। वहीं गलवान घाटी को लेकर चीन-भारत के बीच सीमा गतिरोध जारी है। ऐसे में इस बैठक का क्या मायने हो सकते हैं।

एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "सिर्फ इसलिए कि सीमा के मुद्दे पर भारत के साथ हमारे बीच कुछ मतभेद हैं। चीन के साथ शासन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श दिवालिएपन और आयोजकों की ओर से असंवेदनशीलता को दर्शाता है। काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार एनसीपी के एक केंद्रीय सदस्य ने कहा कि चीन-भारत सैन्य तनाव और कालापानी, लिपुलेख आदि को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव अभी जारी है। ऐसे इस बैठक ने आग में घी का काम किया है।



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