आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की शत्रुओं से रक्षा के लिए आज ही करें ये काम
सनातन धर्म के अनुसार जिस तरह संहार के अधिपति शिव जी हैं उसी प्रकार संहार की अधिष्ठात्री देवी मां काली हैं। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन पवित्र होकर हल्के लाल या गुलाबी वस्त्र पहनकर माता के मंदिर में जाकर गुग्गल की धूप जलाने के बाद गुलाब के फूल चढ़ाकर, माता की मूर्ति के समक्ष बैठकर अपनी समस्याओं के खत्म करने की प्रार्थना करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इनकी पूजा उपासना से भय नाश,आरोग्य की प्राप्ति, स्वयं की रक्षा और शत्रुओं का नियंत्रण होता है। वहीं इनकी उपासना से तंत्र मंत्र के सारे असर समाप्त हो जाते हैं, मां काली की पूजा का उपयुक्त समय रात्रि काल है। इसके साथ ही पाप ग्रहों, विशेषकर राहु और केतु शनि की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक मानी गई है। ऐसे में आज शुक्रवार होने के चलते हम आपको काली माता मंदिर, कलकत्ता के बारे में बता रहे हैं...
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माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियां...
देवी मां की 51 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ बंगाल की राजधानी कलकत्ता में उत्तरी दिशा में विवेकानंद पुल के पास स्थित प्राचीन काली माता मंदिर है।
मान्यता के अनुसार की माता सती के दाहिने पैर की चार उंगलियां यहाँ गिरी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1847 के आसपास यहां रहने वाली विधवा रानी रासमणि के द्वारा माता काली के आदेश पर करवाया गया था।
मंदिर परिसर -
इस मंदिर में माता की काले रंग की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है जिसमें जीभ और हाथ सोने के बने हुए हैं। वहीं मंदिर परिसर में ही बना एक चांदी का कमल फूल भी है, जिसमें हजार पंखुडियां हैं।
यहीं माता काली भगवान् शंकर के ऊपर पैर रखे अवस्था में है। मंदिर में 12 गुंबद हैं, जिनके बाहर भगवान शंकर के 12 मंदिर हैं। काली माता का यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर निर्मित 46 फीट चौंडा और 100 फीट ऊंचा है।
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स्वामी रामकृष्ण परमहंस को मंदिर का प्रधान पुजारी माना गया है, मान्यता है रामकृष्ण परमहंस जी को यहां माता काली के साक्षात् दर्शन हुए थे। आज भी यहां परमहंस जी का भवन बना हुआ है, इसी के बाहर पेड़ के पास उनकी पत्नी मां शारदा देवी की समाधि बनी हुई है।
मंदिर की कथा -
एक प्रचलित कथा के अनुसार यहां बहुत समय पहले एक रासमणि नाम की विधवा रानी निवास करती थी। रानी प्रतिवर्ष अपने सगे संबंधियों और नौकरों के साथ समुद्र के रास्ते काशी माता काली के दर्शन करने को जाती थीं।
हर वर्ष की तरह रानी एक वर्ष मंदिर जाने की तैयारी कर रही थी। जाने से एक दिन पहले रानी को स्वप्न आया की यहीं कलकत्ता में गंगा यानि हुगली नदी के किनारे मेरी प्रतिमा स्थापित करो, मैं यहां साक्षात रूप से निवास करके सभी भक्तों के कष्ट दूर करके उनकी मनोकामनाएं पूरी करुंगी। इसके बाद रानी ने स्वप्न के अनुसार ही माता की प्रतिमा की स्थापना करवाई और एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
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काली माता मंदिर कलकत्ता: मान्यता -
काली माता के मंदिर से जुडी मान्यता के अनुसार यह माता तंत्र मंत्र की देवी हैं, जिससे यह तांत्रिकों का गढ़ हुआ करता था। काली माता के मंदिर में मांगी गयी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं दर्शन मात्र करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
आरती व दर्शन का समय -
काली माता के मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मंगलवार, शनिवार और अष्टमी के दिन बहुत अधिक बढ़ जाती है। मंदिर सुबह 5 बजे से रात के 10:30 बजे तक खुला रहता है, जिसमें दोपहर में 2 से 5 बजे तक मंदिर को बंद रखा जाता है। मंदिर में सुबह 4 बजे मंगला आरती की जाती है जिसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं।
सुबह 5:30 से 07:30 तक माता की नित्य आरती की जाती है, इसके बाद 02:30 से 03:30 तक प्रसाद राग और आखिर में शाम के 06:30 से 07:00 बजे तक माता की संध्या आरती की जाती है। इसके बाद रात में 10:30 बजे मंदिर के द्वार भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
आसापास के पर्यटन स्थल -
काली माता के मंदिर के आसापास और कलकात्ता शहर में और भी कई दर्शनीय स्थलों का आप भ्रमण कर सकते हैं :
राधाकृष्ण मंदिर,नतमोंदिर,सोष्टिताल,कुंडुपुकुर,हरिकथ ताल,विक्टोरिया मेमोरियल,विलियम फोर्ट,बेलूर मठ,हावड़ा ब्रिज,भारतीय संग्राहलय,बिरला प्लेनेटोरियम,साइंस सिटी,बिरला मंदिर।
ऐसे पहुंचे यहां -
आप काली माता मंदिर कलकत्ता आसानी से हवाई मार्ग, सडक मार्ग और रेल मार्ग तीनों के द्वारा पहुंच सकते हैं :
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हवाई मार्ग द्वारा : हवाई मार्ग द्वारा काली माता मंदिर आने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट नेताजी सुभाष चन्द्र बोष एयरपोर्ट है। यहां से आप बस या कार के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा : रेल मार्ग द्वारा मंदिर आने के लिए हावड़ा और शैल्देह सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा जतिन दास पार और कालीघाट मेट्रो स्टेशन आकर भी आप यहां से टैक्सी के जरिये आसानी से मंदिर आ सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : सडक मार्ग द्वारा आप कलकात्ता में पहुंचकर आसानी से बस या कार व टैक्सी के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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