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पारले-जी के साथ- साथ लॉकडाउन की आपदा मैगी के लिए भी बनी अवसर, सेल में 25% की बढ़ोतरी

नई दिल्ली. घर-घर की पहचान बन चुकी पारले जी बिस्किट (parle g) को लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान बड़ा फायदा हुआ। जहां करोना काल (Coronavirus Outbreak) में सभी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा वही पारले जी बिस्किट की इतनी अधिक बिक्री हुई कि उसने पिछले 82 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया इसके बाद 2 मिनट में बन जाने वाली इंस्टेंट मैगी नूडल्स की भी लोगों के बीच भारी डिमांड रही। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में पारले-जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री के बाद इंस्टेंट मैगी नूडल्स (Instant maggi noodles) भी लोगों को खूब पंसद आई। जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मैगी की बिक्री में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये जानकारी नेस्ले ने दी। नेस्ले के मुताबिक लॉकडाउन के बीच इंस्टेंट नूडल्स मैगी की लोगों ने अच्छी खासी खरीदारी की।

12 हजार करोड़ का सालाना कारोबार

नेस्ले इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण ने जानकारी देते हुए बताया कि लॉकडाउन के दौरान मैगी की डिमांड अचानक तेज हो गई। जिसके चलते हमें इसके उत्पादन भी तेजी से करना पड़ा। उन्होंने बताया कि नेस्ले का हर साल का कारोबार करीब 12 हजार करोड़ का है। एेसी उम्मीद लगाई जा रही है कि इस साल मैगी की बिक्री तेजी से हुई है तो कारोबार और अधिक बढ़ा है।

होटल-रेस्टोरेंट बंद होने की वजह से मैगी बनी फेवरेट

दरअसल दो महीने से ज्यादा हो गए होटल-रेस्टोरेंट कोरोना वायरस के चलते बंद करने पड़े। सभी बंद होने की वजह से सुबह के नाश्ते का कोई विकल्प नहीं रहा। एेसे में तत्काल नाश्के के रूप में लोगों को मैगी काफी पंसद आने लगी। जानकारी के मुताबिक बहुत से दुकानदारों ने तो 1.68 किलोग्राम वाले पैक का खरीद कर रख लिया क्योंकि छोटे पैकेट मिलने में काफी मुश्किल आ रही थी। इस बड़े पैक में 24 मैगी नूडल्स होते हैं।

पारले-जी, मैगी के साथ इनके उत्पादन भी बढ़े


इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान सिर्फ पारले-जी, मैगी ही नहीं बल्की ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, बोरबन, मारी, मिल्क बिकीज और पारले का मोनको, हाइड ऐंड सीक, क्रैकजैक जैसे ब्रांड की बिक्री भी जमकर हुई है। इन्हें भी लोगों ने खूब पंसद किया। पारले-जी की बिक्री बिक्री के मामले में मार्च, अप्रैल और मई के महीने बीते 82 साल में सबसे शानदार रहें। बच्चों के साथ-साथ बड़ों की भूख में भी इन्होंने ख़ूब सहायता की। मदद करने वालों ने भी पारले जी के पैकेट बांटना मुनासिब समझा।

2015 में रोक दी गई थी बिक्री

नेस्ले इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण के मुताबिक लॉकडाउन के बीच ज्यादा बिक्री होने के चलते कंपनी को अपने सभी पांचों कारखानों में मैगी का उत्पादन काफी तेजी से करना पड़ा। गौरतलब है कि 2015 में मैगी को लेकर एक विवाद छिड़ा था। मैगी में कई कमी सामने आई थी जिसके बाद बीच में इसकी बिक्री पर सरकार द्वारा रोक लगा दी गई थी। हाल के दिनों में एक रिपोर्ट आई है, जिसके मुताबिक उस घटना के चार साल बाद 2019 में मैगी की बिक्री 2014 में लगे प्रतिबंध के स्तर से आगे बढ़ी है। 2020 की शुरुआत में कोरोना लॉकडाउन ने इसकी बिक्री ने फिर रफ्तार पकड़ ली।



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