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Lockdown का 'डबल अटैक': 10 दिन में 99 प्रवासियों ने हादसे में गंवाई जान, इन मौतों का जिम्मेदार कौन?

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस ( coronavirus ) संकट के बीच लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन ( Lockdown ) की सबसे बड़ी मार प्रवासीय मजदूरों ( Migrant Labours ) पर पड़ी है। एक तो 'काम और पैसा' नहीं होने के कारण मजदूर अपने घर को पलायन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कई जगहों पर सड़क हादसों में इनकी मौतें भी हो रही हैं। लॉकडाउन की डबल मार मजदूरों पर कैसे पड़ रही है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि महज 10 दिनों में 99 मजदूरों की अलग-अलग हादसों में मौत हो गई है। इन हादसों ( Accident ) के साथ बड़ा सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर इन मजदूरों के मौत का जिम्मेदार कौन है?

दरअसल, जब से देश में लॉकडाउन लागू हुआ है तब से काफी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। सैकड़ों, हजारों किलोमीरटर की दूरी तय करके ये मजदूर अपने राज्य वापस जा रहे हैं। लेकिन, रास्ते में सोते हुए, चलते हुए ये मजदूर बस ( Bus ), ट्रक ( Truck) और ट्रेन ( Train ) की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के औरैया में भी शनिवार अहले सुबह कुछ ऐसा ही हुआ। बिहार ( Bihar ), बंगाल ( Bengal ), झारखंड ( Jharkhnad ) के मजदूरों को ले जा रही डीसीएम बस में एक ट्रक ने टक्कर मार दी। इस दर्दनाक हादसे में 23 प्रवासी मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि, 20 से ज्यादा घायल मजदूरों का इलाज चल रहा है। लेकिन, ये कोई पहली घटना नहीं है पिछले 10 दिनों में सड़क हादसों में 99 मजदूरों की मौत हो चुकी है। सबसे पहले इन हादसों के बारे में जानते हैं।

मध्य प्रदेश में 12 मौतें

औरैया से पहले मध्य प्रदेश के गुना में दो बड़े हादसे हुए। इन हादसों में 12 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 70 मजदूर घायल बताए जा रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को गुना में मजदूरों को ले जा रही मिनी ट्रक में एक बस ने टक्कर मार दी। इस हादसे में सात मजदूरों की मौके पर ही मौत, जबकि दो मजदूरों ने हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। वहीं, 55 मजदूर घायल बताए जा रहे हैं। वहीं, शुक्रवार को गुना में एक और घटना घटी। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र से अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश लौट रहे मजदूर एक पिकअप वाहन से लौट रहे थे, लेकिन गुना में पिकअप वैन का ट्रक से टक्कर हो गया। इस हादसे में तीन प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 15 मजदूर घायल हो गए।

मुजफ्फरनगर में बिहार के छह मजदूरों की मौत

पंजाब से कुछ मजदूर पैदल ही अपे गृह राज्य बिहार लौट रहे थे। लेकिन, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर पहुंचते ही इन मजदूरों का जीवनलीला समाप्त हो गया। बताया जा रहा है कि पैदल चल रहे इन मजदूरों को बस ने कुचल दिया। इस हादसे में छह मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि चार मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। ये सभी मजदूर बिहार के गोपालगंज के रहने वाले थे।

नरसिंहपुर में पांच मजदूरों की मौत

विगत 10 मई को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक हादसे में पांच मजदूरों की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि हैदराबाद से उत्तर प्रदेश के एटा और झांसी के रहने वाले मजदूर आम से भरे ट्रक में अपने घर लौट रहे थे। लेकिन, नरसिंहपुर में अचानक ट्रक पलट गया। पांच मजदूरों की ट्रक में दबकर मौत हो गई, जबकि दो घायल बताए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रक में 20 मजदूर सवार थे।

16 मजदूरों को मालगाड़ी ने कुचला

बीते गुरुवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक मालगाड़ी की चपेट में आने से 16 प्रवासीय मजदूरों की मौत हो गई। ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। करीब 45 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ये मजदूर थक कर रेलवे पटरी पर ही सो गए। रात को अचानक मालगाड़ी ने इन मजदूरों को कुचल दिया, जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई है। जबकि, कई घायल भी हुए थे।

हाई टेंशन पोल की चपेट में आने से 9 मजदूरों की मौत

आंध्र प्रदेश प्रदेश में भी एक हादसे में नौ प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि प्रकाशम जिले में एक ट्रैक्टर में 30 मजदूर सवार थे। लेकिन, कुछ मजदूर हाई टेंशन पोल की चपेट में आ गए, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई। इस हादसे में कुछ मजदूर घायल भी हो गए। इसके अलावा छिटपुट घटनाएं में भी कई मजदूरों की मौत हुई है। इस तरह 10 दिनों में कुल 99 मजदूरों की मौत हुई है, जबकि 93 मजदूर घायल हुए हैं।

आखिर क्यों हो रहे हैं इतने हादसे?

लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में लगातार मजदूर पैदल ही पलायन कर रहे हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग तक शामिल हैं। लेकिन, सवाल ये है कि लॉकडाउन के दौरान जब इतनी सुरक्षा बढ़ाई गई है, इतनी बंदिशें लगी है इसके बावजूद इतने हादसे क्यों हो रहे हैं? सरकार कह रही है कि हम मजदूरों को वापस भेजने की पूरी तैयारी किए हैं। उन्हें लगातार ट्रेनों और बसों के जरिए घर भेजा जा रहा है, तो इनके साथ इस तरह के हादसे क्यों हो रहे हैं? क्या इन मजदूरों को सरकार पर भरोसा नहीं है या फिर कोई और वजह है जिसके कारण ये पैदल चलने को मजबूर हैं। पंजाब से बिहार पहुंचे कुछ मजदूरों से हमने जब बात की तो उनका कहना है था कि हम ज्यादा दिनों तक इंतजार नहीं कर सकते थे। हमारी स्थिति बेहद दयनीय हो गई थी। लिहाजा, मजबूर होकर हमने ये कदम उठाया। रमेश नामक एक मजदूर ने बताया कि जहां वह काम करता था वह कंपनी बंद हो गई थी। कुछ दिन तो किसी तरह उसने अपना और परिवार का पेट पाल लिया, लेकिन अब भूखमरी की नौबत आ गई थी। उसने बताया कि ट्रेन से जाने के लिए उसने बार-बार कोशिश की लेकिन मौका नहीं मिल सका। इसलिए, पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़ा। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि मजबूरी में मजदूरों के द्वारा उठाए गए इस कदम और इनकी मौत का जिम्मेदार कौन है?

कौन है इन सबका जिम्मेदार?

मजदूर बेखौफ सड़क पर चल रहे हैं। लोगों की मौत हो रही है। प्रशासन अपनी ड्यूटी पूरा करने का दावा कर रही है और सरकार रोज नए आदेश और गाइडलाइन जारी कर रही है। लेकिन, सवाल ये है कि जो भी चीजें हो रही है उन सबका जिम्मेदार कौन है? मजदूर रात को भी सड़क पर चल रहे हैं। छोटी सी गाड़ी में भर-भर कर मजदूरों को एक जगह से दूसरी जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। क्या प्रशासन इन सब चीजों से अज्ञात है। क्या रात में पुलिस और प्रशासन आंखें बंद कर लेती हैं? क्या मजदूर इनसे आंख मिचौली खेलकर यात्रा कर रहे हैं। क्या मजदूर रात को इसलिए यात्रा कर रहे हैं ताकि उन्हें कोई रोके न या फिर दिन की गर्मी से बचने के लिए। क्या प्रवासी मजदूर छिपकर अपने घर पहुंचना चाहते हैं? क्या पुलिस-प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगती या फिर रात होते ही ये भी अपनी ड्यूटी भूल जाते है? सवाल ये भी केन्द्र और राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए इतने बड़े-बड़े दावे और वादे कर रही उसका क्या हो रहा है? क्या सरकार जान बूझकर अनजान बन रही है या फिर उसके पास इतने संसाधन नहीं कि इन मजदूरों को वापस भेजा जाए और उनकी अनमोल जिंगगी को बचाया जा सके। ऐसे कई सवाल इन हादसों को लेकर उठ रहे हैं, जिसका जवाब आखिर कौन देगा?



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