जेएनयू की सुरक्षा पर शिक्षकों ने उठाए सवाल, कहा- प्रशासन की मिलीभगत से हुई हिंसा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा होने के कुछ घंटों बाद, शिक्षकों ने विश्वविद्यालय की सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल उठाए। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि प्रशासन हमलावरों के साथ मिला हुआ है। डंडो से लैस नकाबपोश व्यक्तियों के विश्वविद्यालय में प्रवेश करने और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला करने के बाद परिसर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। इस हमले में कई लोग जख्मी हुए हैं। शिक्षकों ने युनिवर्सिटी के दरवाजे के अंदर से मीडिया से बातचीत की।
बैठक खत्म होते ही किया हमला
जेएनयू में इतिहास विभाग में प्रोफेसर महालक्ष्मी के अनुसार- शिक्षकों ने शाम पांच बजे साबरमति टी पॉइंट पर एक शांति बैठक की थी। उन्होंने कहा कि- 'जैसे ही यह बैठक खत्म हुई, बड़ी संख्या में लोग परिसर में घुस गए और उन्होंने शिक्षकों और छात्रों पर हमला कर दिया।'
फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं छात्र
महालक्ष्मी ने कहा कि- 'जाहिर तौर पर, उन्हें कुछ शिक्षकों और छात्रों पर हमला करने के लिए कहा गया था और इसलिए उन्होंने ऐसा किया। वे लोग लोगों को डंडों से बेरहमी से पीट रहे थे। लेबर स्टडीज के प्रोफेसर प्रदीप शिंदे ने सवाल उठाया कि- 'कैसे इतनी बड़ी संख्या में रॉड से लैस लोग परिसर में घुस सकते हैं। यह हैरान करने वाली घटना है।' उन्होंने कहा कि छात्र फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
जेएनयूटीए ने की निंदा
एक बयान में जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने इस हिंसा के तांडव की निंदा करते हुए कहा है कि- ‘यह जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत से हुई है और पुलिस मूक दर्शक बनी हुई थी।' जेएनयूटीए ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस गंभीर स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
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