मकर संक्रांति के दिन देह त्यागने पर मिलता है मोक्ष, जानें धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति इस साल 15 जनवरी को मनाई जाएगी। धर्म और ज्योतिष के नजरिये से मकर संक्रांति का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार जब मकर राशि में सूर्य का गोचर होता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है तो मकर संक्रांति मनाई जाती है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य और स्नान का महत्व माना जाता है। इसलिये इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा या पावन नदी में स्नान करने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, जो लोग मकर संक्रांति पर देह का त्याग करते हैं उन्हें मोक्ष प्राप्ति होती है। इसके साथ ही वे जीवन-मरण के चक्कर से भी मुक्त होकर स्वर्ग प्राप्त करते हैं।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने पर मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य का उत्तरायण होना बहुत ही शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ा था। इसलिये इसे जीत के पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन से प्रकृति में परिवर्तन होने लगते हैं
मकर संक्रांति के दिन से ऋतु में परिवर्तन होने लगते हैं। शरद ऋतु खत्म होने लगती है और बसंत ऋतु का आगमन होने लगता है। मकर संक्रांति से दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती है।
सूर्य की किरणों को खराब माना जाता है खराब
मान्यताओं के अनुसार सूर्य जब पूर्व की तरफ चलता है तो उस समय सूर्य की किरणों का मनुष्य पर खराब असर माना जाता है। परंतु जब सूर्य पूर्व से उत्तर की तरफ जाते हैं तो उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती है। इसलिये इस समय साधु-संत और सभी आध्यात्मिक लोग शांति और सिद्धि प्राप्त करते हैं।
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