Header Ads

मोक्षदा एकादशी का श्री कृष्ण से है संबंध, पितरों के साथ व्रती को भी मिलता है मोक्ष

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हर महीने में दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी पड़ती है। इस एकादशी को पितरों को मोक्ष दिलाने वाली एकादशी के रुप में माना जाता है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। इस साल मार्गशीर्ष माह में मोक्षदायनी एकादशी 8 दिसंबर को पड़ रही है। इसी दिन व्रत रखा जायेगा।

 

मोक्षदा एकादशी का श्री कृष्ण से है संबंध, पितरों के साथ व्रती को भी मिलता है मोक्ष

मोक्षदा एकादशी व्रत और पूजन

मोक्षदा एकादशी के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिये। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और घर में साफ साफाई के साथ-साथ मंदिर की भी सफाई करें। मंदिर की सफाई करने के बाद भगवान का स्नान आदि के बाद उन्हें वस्त्र अर्पित करें। भगवान को रोली और अक्षत से तिलक करें और फूल अर्पित कर, इत्र छिड़के। इसके भगवान विष्णु को फल-मेवे का भोग लगायें

इतना करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा करें और माता लक्ष्मी और विष्णु की पूजा कर आरती करें। दिनभर व्रत करने के बाद शाम के समय फलाहार करें या फिर सात्विक भोजन कर सकते हैं। रात को भगवान का भजन-किर्तन कर आराधना करें।

मोक्षदा एकादशी का श्री कृष्ण से है संबंध, पितरों के साथ व्रती को भी मिलता है मोक्ष

मोक्षदा एकादशी का महत्व

पद्मपुराण के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्‍ण नें युधिष्ठिर को मोक्षदा एकादशी का महत्व बताते हुये कहा कि, यह मोक्षदा एकादशी बहुत ही पुण्‍यदायी व शुभ फलों को देने वाली मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से जातक के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और सच्‍चे मन से पूजा-आराधना करने से मोक्ष प्राप्त होता है।

इसके अलावा यह भी जिक्र मिलता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कथा मिलती है कि जब द्वापर युग में महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन अपने सगे- संबंधियों पर बाण चलाने से घबराने लगे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें जीवन, आत्मा और कर्तव्य के बारे में विस्तार से समझाया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जानते हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments

Powered by Blogger.