यहां एक साथ विराजमान हैं 'हरि और हर', दर्शन करने आते हैं लाखों श्रद्धालु

विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का नाम तो आपने सुना ही होगा। आप ये भी जानते हैं कि यह विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला है। इस मेले में सबकुछ बिकता है। सबकुछ का मतलब सबकुछ। हालांकि बदलते परिवेश में इस मेले में भी बहुत बदलाव आया है। इस मेले में खरीददारी करने लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।

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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सोनपुर मेला कार्तिक मास के पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और अगले 30 दिन तक चलता है। हालांकि अधिकारिक तौर पर यह मेला 15 दिनों तक ही चलता है। सोनपुर मेला जहां लगता है, वहां बाबा हरिहर नाथ का मंदिर है।

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मान्यता है कि भगवान विष्णु के दो भक्त हाथी ( गज ) और मगरमच्छ ( ग्राह ) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। कोनहारा घाट पर जब गज पानी पीने गया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध शुरू हो गया। यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा। इस बीच गज जब कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को खत्म कराया।

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इसी स्थान पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था, इस कारण यहां पशु की खरीददारी को शुभ माना जाता है। इसी स्थान पर हरि ( विष्णु ) और हर ( शिव ) का मंदिर है, जिसे बाबा हरिहर नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और बाबा हरिहर नाथ का दर्शन करते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था।

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अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में हिंदू धर्म के दो संप्रदाय शैव व वैष्णव में अक्सर विवाद हुआ करता था, जिससे समाज में संघर्ष एवं तनाव की स्थिति बनी रहती थी। बताया जाता है कि कालांतर में दोनों संप्रदाय के प्रबुद्ध जनों के प्रयास से इस स्थल पर एक सम्मेलन आयोजित कर समझौता कराया गया और यहां हरि ( विष्णु ) एवं हर ( शंकर ) की संयुक्त स्थापना की गई, जिसे हरिहर क्षेत्र कहा गया।



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