महाराष्ट्र: जस्टिस रमन्ना ने कहा- संसदीय परंपरा में कोर्ट का दखल नहीं
नई दिल्ली। त्रिशंकु विधानसभा की वजह से महाराष्ट्र की राजनीति अहम मोड़ पर है। आज इस मुद्दे पर 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले से न केवल त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति साफ होगी, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति के तीसरे चाणक्य देवेंद्र फडणवीस के तकदीर का भी फैसला होगा। अहम सवाल यह है कि क्या देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री रह पाएंगे? या विपक्ष को सरकार बनाने का अवसर मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही महाराष्ट्र को लेकर इन सभी सवालों का जवाब सभी को मिल जाएगा।
इससे पहले सोमवार को अदालत में तीखी बहस हुई थी।
दूसरी तरफ अपनी एकजुटता और सियासी ताकत दिखाने के लिए सोमवार शाम को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने अपनी एकजुटता और ताकत की नुमाइश मुंबई हयात होटल में की। यहां पर तीनों पार्टियों के 162 विधायकों ने परेड हुई और सभी ने संकल्प लिया कि वे लोग उद्धव ठाकरे, सोनिया गांधी, और शरद पवार के प्रति निष्ठावान बने रहेंगे।
शरद पवार ने इस दौरान अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये मणिपुर-कर्नाटक नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र है।
We Are 162 की ताकत
महाराष्ट्र में जारी उथापुथल के बीच सोमवार को कुछ ऐसा देखने को मिला, जो कभी नहीं हुआ था। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने 162 विधायकों के साथ शक्ति प्रदर्शन किया और एकजुटता का मैसेज देने की कोशिश की। इस दौरान तीनों पार्टियों के शीर्ष नेता भी मौजूद रहे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के मुद्दे पर दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई थी, जिसके बाद अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाने की बात कही थी। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजीव खन्ना इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
सोमवार को विपक्षी पार्टियों की ओर से 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की, इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार की ओर से फ्लोर टेस्ट पर जल्दबाजी ना करने को कहा गया।
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