19 नवंबर को काल भैरव अष्टमी, भैरव मंदिर जाकर जलायें सरसों के तेल का दीपक
अगहन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने काल भैरव रुप में अवतार लिया था। इसलिये इस दिन काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इस बार काल भैरव अष्टमी 19 नवंबर, मंगलवार के दिन पड़ रही है। काल भैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार माने जाते हैं। काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव की विशेष पूजा की जाती है, माना जाता है कि भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को कभी कोई बुरी आत्मा, बुरी नजर या कोई भी तांत्रिक क्रिया बाल भी बांका नहीं कर सकती।
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काल भैरव का करें इन चीजों से श्रृंगार
काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव देवता का पूरा श्रृंगार करें। श्रृंगार में सिंदूर, सुगंधित तेल, लाल चंदन, चावल, गुलाव के फूल ( भैरव देवता को गुलाव के फूल बहुत प्रिय हैं) जनेऊ और नारियल शामिल करें। भैरव देवता का श्रृंगार कर विधि-विधान से पूजा करें और तिल-गुड़ का भोग लगायें। वैसे भैरव को गुड़ और चने का भोग भी लगाया जाता है।
इसका बाद भैरव देवता को सुगंधित धूपबत्ती और सरसों के तेल का दीपक जलायें और भैरव मंत्र का जप करें-
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्। द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें, इसके बाद भैरव भगवान के सामने धूप, दीप और कर्पूर जलाएं, आरती करें, प्रसाद ग्रहण करें।
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काल भैरव अष्टमी के दिन करें ये उपाय
- काल भैरव जयंती के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा 11 रुपए, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा मीटर काले कपड़े में एक पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में चढ़ाएं।
- भैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता हैं। क्योंकि उन्हें मदिरा प्रिय है। इसलिए उनके निमित्त किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा दान करें।
- काल भैरव अष्टमी के सवा किलो जलेबी भैरव बाबा को चढ़ाएं। जलेबी का एक भाग कुत्तों को खिलाएं। इससे आपको आर्थिक लाभ होगा।
- भैरव बाबा को मदिरा का भोग लगाया जाता हैं, इसलिए भैरव बाबा के निमित्त किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा का दान करें।
- काल भैरव के मंदिर जाकर भगवान काल भैरव की आरती करें और पीला ध्वजा चढ़ाएं।
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